सीमांत गांव धराली में 5 अगस्त को आई भयानक त्रासदी के एक सप्ताह बाद भी यहां का माहौल दर्द और उम्मीद से भरा हुआ है। घरों, खेतों और सपनों को लील चुकी इस आपदा ने गांव की ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है। मलबे के ढेरों के बीच अब भी जिन्दगी की तलाश जारी है।
आपदा का प्रभाव
ग्रामीणों के लिए हर सुबह एक नई जद्दोजहद लेकर आती है। अब दिनचर्या नहीं, बल्कि अपनों को खोजने का संघर्ष उनकी प्राथमिकता बन चुका है। मलबे के नीचे दबे हुए परिवारों और रिश्तेदारों को बचाने की उम्मीद अभी भी टिकी है, लेकिन हकीकत दर्दनाक भी है।
मलबे के बीच उम्मीद की किरण
हर पत्थर, हर मलबे के ढेर में जीवन की कोई झलक खोजने की कोशिश यहां के लोगों की हिम्मत और संघर्ष को दर्शाती है। जबकि त्रासदी ने उनके जीवन को तहस-नहस किया है, फिर भी वे हार नहीं मान रहे हैं।
प्रशासन और राहत कार्य
स्थानीय प्रशासन और बचाव दलों ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया है। परिवारों को सहारा देने के लिए मनोवैज्ञानिक मदद भी उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा पुनर्वास और पुनर्निर्माण की योजना भी बनाई जा रही है।

