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ट्रांसगंगा सिटी को वीआईपी रोड से जोड़ेगा वाई-आकार का पुल, डीपीआर और बजट स्वीकृत, रानीघाट में 33 आवास होंगे विस्थापित

ट्रांसगंगा सिटी को वीआईपी रोड से जोड़ेगा वाई-आकार का पुल, डीपीआर और बजट स्वीकृत, रानीघाट में 33 आवास होंगे विस्थापित

ट्रांसगंगा सिटी और वीआईपी रोड को आपस में जोड़ने के लिए प्रस्तावित वाई-आकार के पुल की परियोजना को बड़ी स्वीकृति मिल गई है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) और बजट को हरी झंडी मिल चुकी है। अब यूपीसीडा (उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण) ने बजट प्रस्ताव को शासन की वित्त व्यय समिति के पास भेज दिया है, जिससे अंतिम मंजूरी के बाद निर्माण कार्य शुरू किया जा सके।

यह वाई-आकार का पुल ट्रांसगंगा सिटी को सीधे वीआईपी रोड से जोड़ेगा, जिससे न केवल क्षेत्र के यातायात को सुगम बनाया जाएगा, बल्कि औद्योगिक और आवासीय विकास को भी गति मिलेगी। परियोजना के तहत पुल का निर्माण रानीघाट क्षेत्र से होकर किया जाएगा।

इसी सिलसिले में लोक निर्माण विभाग (PWD) ने रानीघाट में सर्वेक्षण कर पुल निर्माण की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। सर्वे में पाया गया कि प्रस्तावित पुल की राह में आने वाले 33 मकान निर्माण कार्य में बाधक बन रहे हैं। इन्हें ‘निष्प्रयोज्य’ घोषित करते हुए विस्थापन की योजना बनाई गई है।

इन 33 आवासों के स्थान पर नए आवास बनाने के लिए 13 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसे संबंधित विभागों को भेज दिया गया है। विस्थापित होने वाले परिवारों के पुनर्वास की प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत रखने की बात भी प्रशासन द्वारा कही गई है।

परियोजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही वित्त व्यय समिति से अंतिम स्वीकृति मिलती है, वैसे ही निर्माण कार्य को प्राथमिकता पर शुरू कराया जाएगा। वाई-आकार का यह पुल ट्रांसगंगा सिटी के विकास की रीढ़ साबित होगा और क्षेत्र के नागरिकों को राजधानी लखनऊ तथा आसपास के इलाकों से बेहतर संपर्क प्रदान करेगा।

स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों ने इस पुल को भविष्य की दृष्टि से एक जरूरी कड़ी बताया है। उनका कहना है कि इससे क्षेत्र में निवेश, यातायात और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

ट्रांसगंगा सिटी पहले से ही एक हाई-प्रोफाइल आवासीय और औद्योगिक परियोजना मानी जा रही है, और अब इस पुल के माध्यम से इसकी कनेक्टिविटी और भी सुदृढ़ हो जाएगी। आने वाले कुछ महीनों में परियोजना के कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद है।

यह परियोजना न केवल क्षेत्रीय विकास की दृष्टि से अहम है, बल्कि राज्य सरकार की कनेक्टिविटी को सशक्त करने की योजनाओं में भी एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखी जा रही है।

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