UP की महिलाओं ने किया 35 हजार करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन, बीसी सखी योजना में मिला ट्रेनिंग

सरकार की महत्वाकांक्षी 'बीसी सखी योजना' ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन की दिशा में एक मजबूत कड़ी के रूप में उभरी है। इस योजना के तहत अब तक राज्य की लगभग 50 हजार महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है, जिन्होंने सामूहिक रूप से 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक का डिजिटल लेनदेन किया है। यह जानकारी लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में दी गई।
बैठक की अध्यक्षता राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने की, जबकि सह-अध्यक्षता बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यकारी निदेशक एवं एसएलबीसी के अध्यक्ष लाल सिंह ने की। मुख्य सचिव ने बैठक में बताया कि बीसी सखी योजना के तहत काम कर रही महिलाएं न केवल सुदूर क्षेत्रों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचा रही हैं, बल्कि डिजिटल लेनदेन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव भी ला रही हैं।
मुख्य सचिव ने क्या कहा?
उन्होंने कहा, "राज्य सरकार बैंकों के सहयोग से इस योजना का और विस्तार करना चाहती है। यह मॉडल न केवल वित्तीय पहुंच को सशक्त बनाता है बल्कि महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का साधन भी बनता है।" उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। आज शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग हर परिवार के पास बैंक खाता है और वित्तीय साक्षरता में भी लगातार सुधार हो रहा है।
बैंकों को युवाओं को ऋण देने में तत्परता दिखानी चाहिए
मुख्य सचिव ने बैठक में बैंकों से सीडी रेशियो (जमा ऋण अनुपात) में सुधार लाने तथा ऋण प्रवाह को सुदृढ़ बनाने में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया। इसके अलावा, बैंकों को हाल ही में शुरू की गई मुख्यमंत्री युवा उद्यमिता योजना के तहत युवाओं को ऋण उपलब्ध कराने में तत्परता दिखाने की जरूरत है।
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