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अवैध धर्मांतरण के बहकावे में आई महिलाएं कर रहीं घरवापसी, मिली धमकियों से सहमीं पीड़िताएं

अवैध धर्मांतरण के बहकावे में आई महिलाएं कर रहीं घरवापसी, मिली धमकियों से सहमीं पीड़िताएं

उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण का मामला एक बार फिर चर्चा में है। जमालुद्दीन उर्फ छांगुर द्वारा कथित तौर पर गुमराह की गई कई महिलाएं अब अपनी गलती समझ कर घरवापसी कर रही हैं। लेकिन इस निर्णय के बाद उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।

सोमवार को राजधानी लखनऊ में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इन पीड़ित महिलाओं ने अपनी आपबीती सुनाई और बताया कि कैसे उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए बहलाया-फुसलाया गया और अब वापसी पर प्रताड़ना और धमकी झेलनी पड़ रही है।

"बहकावे में आकर छोड़ दिया अपना धर्म"

पीड़िताओं ने बताया कि वे छांगुर के दरबार में जाकर मानसिक रूप से प्रभावित हो गई थीं। उन्हें यह विश्वास दिलाया गया कि धर्म परिवर्तन करने से उनके जीवन की समस्याएं समाप्त हो जाएंगी, उन्हें सम्मान और सुरक्षा मिलेगी। इसी बहकावे में आकर उन्होंने अपनी पहचान बदल ली, लेकिन समय बीतने के साथ उन्हें यह एहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार हुई हैं।

धमकियां दे रहे कट्टरपंथी तत्व

महिलाओं ने आरोप लगाया कि जैसे ही उन्होंने अपनी मूल धार्मिक पहचान में लौटने की कोशिश की, वैसे ही उन्हें धमकियां मिलने लगीं। उन्हें फोन कर डराया जा रहा है, सामाजिक रूप से बहिष्कृत करने की चेतावनी दी जा रही है, और कुछ मामलों में परिवार पर हमले तक की धमकी दी गई है।

"अब पछतावा हो रहा है"

एक महिला ने भावुक होते हुए कहा, "मैंने जो किया, वह नासमझी में किया। अब मैं अपनी गलती समझ चुकी हूं। लेकिन अब मुझे और मेरे परिवार को डराया जा रहा है।"

प्रशासन से मांगी सुरक्षा

पीड़ित महिलाओं ने प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है। उनका कहना है कि वे अब अपनी मूल आस्था में लौट चुकी हैं और शांतिपूर्ण जीवन जीना चाहती हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में डर के साए में जी रही हैं।

छांगुर के खिलाफ हो चुकी है कानूनी कार्रवाई

ज्ञात हो कि जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के खिलाफ पहले से ही धार्मिक उन्माद फैलाने और अवैध धर्मांतरण कराने के आरोपों में कई मुकदमे दर्ज हैं। जांच एजेंसियां उसकी गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस पूरे नेटवर्क की जांच की जा रही है और जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

सामाजिक संगठनों का समर्थन

घटना के बाद कई हिंदू संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इन महिलाओं का समर्थन करते हुए प्रशासन से कठोर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही यह भी अपील की गई है कि धर्म परिवर्तन जैसे संवेदनशील मामलों में लोगों को मानसिक रूप से मजबूत करने और जागरूक करने के लिए जन अभियान चलाया जाए।

यह प्रकरण न सिर्फ धार्मिक पहचान से जुड़ा है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि अंधविश्वास, बहकावे और दबाव के चलते कैसे आम लोग अपनी जड़ों से कट जाते हैं और जब लौटते हैं तो उन्हें फिर संघर्ष करना पड़ता है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और समाज मिलकर इन पीड़ितों को कितना न्याय दिला पाते हैं।

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