उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव जल्द, एनडीए को संख्याबल में बढ़त; नामों को लेकर अटकलें तेज
देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद उपराष्ट्रपति को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद यह पद रिक्त हो गया है और अब इसके लिए नया चुनाव होना तय है। संसद के मानसून सत्र के दौरान ही इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा शुरू हो चुकी है और राजनीतिक दलों के बीच रणनीतिक बैठकों का दौर भी जारी है।
एनडीए को स्पष्ट संख्याबल का लाभ
उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों द्वारा किया जाता है। वर्तमान में संसद के दोनों सदनों में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास स्पष्ट बहुमत है। यही कारण है कि एनडीए समर्थित उम्मीदवार के उपराष्ट्रपति चुने जाने की संभावना प्रबल मानी जा रही है।
लोकसभा में एनडीए को पहले से ही बहुमत प्राप्त है, जबकि राज्यसभा में भी पिछले कुछ वर्षों में उसके संख्याबल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ऐसे में विपक्ष के लिए अपने किसी साझा उम्मीदवार को जिताना संख्यात्मक रूप से बेहद कठिन दिख रहा है।
कौन होगा अगला उपराष्ट्रपति?
उपराष्ट्रपति पद को लेकर कई संभावित नामों की चर्चा राजनीतिक गलियारों में चल रही है, लेकिन अभी तक एनडीए या विपक्ष की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई नाम सामने नहीं आया है। सूत्रों की मानें तो एनडीए की ओर से ऐसे व्यक्ति को प्रत्याशी बनाए जाने पर विचार चल रहा है, जो न सिर्फ राजनीतिक रूप से मजबूत हो बल्कि भविष्य में राष्ट्रीय राजनीति में भी नेतृत्वकारी भूमिका निभा सके।
पूर्व राज्यपाल, वरिष्ठ सांसद, पूर्व नौकरशाह और यहां तक कि पार्टी के पुराने वफादार चेहरों में से किसी एक को उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, विपक्ष की ओर से भी एकजुटता के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि एक सर्वमान्य चेहरा सामने लाया जा सके, लेकिन अब तक सहमति बनती नहीं दिख रही है।
धनखड़ के इस्तीफे पर संशय
ध्यान देने वाली बात यह है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे की वजह सार्वजनिक नहीं की है, जिससे इस घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ इसे आने वाले राजनीतिक फेरबदल या एनडीए की नई रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं।

