
उत्तर प्रदेश के सबसे लंबे और महत्वाकांक्षी गंगा एक्सप्रेसवे पर वाहन अब जल्द ही फर्राटा भरेंगे। करीब 594 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे मेरठ से प्रयागराज तक फैला है। इस पर संचालन की दिशा में उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPIDA) ने टोल दरों के निर्धारण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए सलाहकार कंपनी के चयन की प्रक्रिया चल रही है।
थोक मुद्रा सूचकांक से तय होंगी दरें
यूपीडा के अधिकारियों के अनुसार, टोल शुल्क तय करने के लिए वर्ष 2025-26 की थोक मुद्रा सूचकांक (WPI) को आधार बनाया गया है। इसका अर्थ है कि टोल दरें उस मानक से कम नहीं होंगी। इससे संकेत मिलता है कि उपयोगकर्ताओं को अपेक्षाकृत ऊंचा टोल देना पड़ सकता है, लेकिन इसके साथ ही उन्हें विश्वस्तरीय सड़क सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।
क्यों खास है गंगा एक्सप्रेसवे?
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लंबाई: 594 किलोमीटर
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रूट: मेरठ से प्रयागराज
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जिले: एक्सप्रेसवे 12 जिलों से होकर गुजरेगा – मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज
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मोटरस्पीड: वाहनों की अधिकतम गति 120 किमी प्रति घंटा प्रस्तावित
यह एक्सप्रेसवे प्रदेश की आर्थिक और औद्योगिक कनेक्टिविटी को नया आयाम देगा, जिससे पश्चिमी और पूर्वी यूपी के बीच यातायात बेहद सुगम होगा।
टोल नीति में पारदर्शिता और स्थायित्व
UPIDA टोल दरें तय करने में पारदर्शिता और दीर्घकालिक स्थायित्व सुनिश्चित करना चाहती है। टोल निर्धारण के लिए सलाहकार कंपनी मार्केट ट्रेंड, निर्माण लागत, रखरखाव खर्च और WPI को आधार बनाकर रिपोर्ट तैयार करेगी।
अनुमानित टोल दरें
हालांकि अभी दरें तय नहीं हुई हैं, लेकिन सूत्रों के अनुसार,
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कार और हल्के वाहनों के लिए 1.25 से 1.50 रुपये प्रति किमी,
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भारी वाहनों के लिए 2.50 से 3 रुपये प्रति किमी तक की दर प्रस्तावित हो सकती है।
यानी एक कार द्वारा पूरा एक्सप्रेसवे पार करने पर लगभग 750 से 900 रुपये तक टोल शुल्क लग सकता है।