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उत्तर प्रदेश को मिलेगी ‘ग्रीन स्टार’ पहचान, कैबिनेट ने शहरी हरित नीति को दी मंजूरी

उत्तर प्रदेश को मिलेगी ‘ग्रीन स्टार’ पहचान, कैबिनेट ने शहरी हरित नीति को दी मंजूरी

उत्तर प्रदेश में शहरी विकास और पर्यावरण संरक्षण को नई दिशा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने ‘शहरी हरित नीति’ (Urban Green Policy) को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए शुक्रवार को नगर विकास विभाग द्वारा प्रस्तावित इस नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।

यह नीति शहरी निकायों में हरित पहलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

ग्रीन सिटी की होगी रैंकिंग

नई नीति के तहत ‘ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग प्रणाली’ विकसित की जाएगी। इसके जरिए प्रदेश के शहरों को हरित पहल के आधार पर ‘ग्रीन स्टार रैंकिंग’ दी जाएगी। यह रैंकिंग न केवल हरित क्षेत्र बढ़ाने के प्रयासों को दर्शाएगी, बल्कि स्वच्छता, हरियाली, जल संरक्षण और वायु गुणवत्ता जैसे मापदंडों पर भी आधारित होगी।

मियावाकी जंगल, रूफ टॉप गार्डन और वर्टिकल गार्डन होंगे विकसित

हरित नीति के अंतर्गत नगर निकायों को निर्देशित किया जाएगा कि वे रूफ टॉप गार्डन, वर्टिकल गार्डन और मियावाकी तकनीक से जंगल विकसित करें।

  • मियावाकी पद्धति के अंतर्गत घने और बहु-स्तरीय पौधरोपण से कम स्थान में अधिक हरियाली लाई जाएगी।

  • वर्टिकल गार्डन और रूफ टॉप गार्डन न केवल सौंदर्य बढ़ाएंगे, बल्कि शहरी गर्मी, धूल और प्रदूषण में भी कमी लाएंगे।

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की पहल

इस नीति का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को स्थानीय स्तर पर नियंत्रित करना है। शहरी इलाकों में तेजी से हो रहे कंक्रीटीकरण के कारण तापमान में वृद्धि, जलभराव और प्रदूषण जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। हरित नीति के जरिए सरकार इन समस्याओं को हरियाली के माध्यम से संतुलित करने का प्रयास कर रही है।

सरकारी भवनों और संस्थानों को मॉडल बनाने की योजना

इस योजना के तहत शहरी निकायों के सरकारी भवनों, विद्यालयों, अस्पतालों, पार्कों और सार्वजनिक स्थलों को हरित मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे अन्य नागरिकों को भी प्रेरणा मिलेगी और वे भी अपनी छतों, दीवारों और मोहल्लों में हरियाली बढ़ाने की दिशा में कदम उठाएंगे।

बजट और निगरानी व्यवस्था

नगर विकास विभाग के सूत्रों के मुताबिक, इस योजना के लिए विशेष बजटीय प्रावधान किए जा रहे हैं। इसके साथ ही एक केंद्रीकृत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा, जहाँ हर शहरी निकाय की हरित पहल की निगरानी की जाएगी।

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