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उत्तर प्रदेश बनेगा अल्कोहल आधारित उत्पादों का हब, सरकार का ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य

उत्तर प्रदेश बनेगा अल्कोहल आधारित उत्पादों का हब, सरकार का ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य

उत्तर प्रदेश सरकार अब प्रदेश को अल्कोहल आधारित उत्पादों के निर्यात का एक बड़ा केंद्र बनाने की दिशा में तेज़ी से काम कर रही है। सरकार की इस रणनीतिक पहल का उद्देश्य न केवल राज्य के औद्योगिक विकास को गति देना है, बल्कि उसे एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में भी तब्दील करना है।

क्या है सरकार की योजना?

राज्य सरकार की योजना है कि अल्कोहल आधारित रसायनों, इथेनॉल, सैनिटाइज़र, परफ्यूम, फार्मा उत्पादों और अन्य इंडस्ट्रियल केमिकल्स के उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र, औद्योगिक पार्क और क्लस्टर विकसित करने की तैयारी की जा रही है।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पहले से ही गन्ना उत्पादन की मजबूत पृष्ठभूमि है, जिससे इथेनॉल जैसे अल्कोहल आधारित उत्पादों का कच्चा माल बड़ी मात्रा में उपलब्ध होता है। सरकार इसी संसाधन का बेहतर उपयोग कर उत्पादन और निर्यात के नए अवसर तलाश रही है।

निवेशकों को आकर्षित करने की रणनीति

सरकार विभिन्न निवेशकों और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से बातचीत कर रही है ताकि वे राज्य में अपनी इकाइयां स्थापित करें। इसके लिए राज्य सरकार की औद्योगिक नीति 2022 के अंतर्गत कई प्रोत्साहन पैकेज भी दिए जा रहे हैं, जिनमें टैक्स छूट, जमीन आवंटन, बिजली दरों में रियायत और अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

औद्योगिक विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, "हम उत्तर प्रदेश को अल्कोहल आधारित निर्यात का राष्ट्रीय नेतृत्वकर्ता बनाना चाहते हैं। इससे न केवल राजस्व बढ़ेगा, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।"

रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा लाभ

इस परियोजना से ग्रामीण क्षेत्रों को भी बड़ा लाभ मिलेगा। चूंकि इथेनॉल और अल्कोहल आधारित उत्पादों का मूल स्रोत कृषि है, इसलिए किसानों की आय बढ़ने की संभावना है। साथ ही इससे नवीनतम तकनीक पर आधारित विनिर्माण इकाइयों के खुलने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

ट्रिलियन डॉलर की राह

उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था फिलहाल लगभग 300 अरब डॉलर के करीब है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार सार्वजनिक मंचों से यह स्पष्ट किया है कि सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाना है। अल्कोहल आधारित निर्यात इस दिशा में एक प्रमुख इंजन साबित हो सकता है।

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