उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरडीएसएस योजना की अनियमितताओं पर विद्युत नियामक आयोग से शिकायत की

उत्तर प्रदेश में वित्तीय संकट से जूझ रही बिजली कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लागू की गई आरडीएसएस (रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) योजना के तहत अरबों रुपये खर्च किए जाने के बाद भी निजीकरण को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया है।
जनहित याचिका में उठाए गए सवाल
विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग के सामने एक जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि पिछले साल 13 अगस्त को आयोग ने आरडीएसएस योजना को अनुमोदित करते हुए छह माह के अंतराल पर कंपनियों से परफार्मेंस रिपोर्ट देने को कहा था। हालांकि, अब तक यह रिपोर्ट संबंधित बिजली कंपनियों द्वारा आयोग को प्रस्तुत नहीं की गई है।
निजीकरण को लेकर चिंता
यूपी विद्युत उपभोक्ता परिषद का मानना है कि अरबों रुपये की भारी राशि खर्च करने के बाद भी निजीकरण की दिशा में कदम उठाना उचित नहीं है। उपभोक्ता परिषद ने योजना के क्रियान्वयन और इसके परिणामों की पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। परिषद ने कहा है कि जब तक कंपनियां अपनी प्रदर्शन रिपोर्ट आयोग को नहीं देंगी, तब तक योजना की प्रगति और प्रभाव का आकलन करना मुश्किल होगा।
विद्युत नियामक आयोग की भूमिका
विद्युत नियामक आयोग ने आरडीएसएस योजना को मंजूरी देते हुए इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए छह माह के अंतराल पर कंपनियों से रिपोर्ट मांगना अनिवार्य किया था। यह कदम योजना की प्रगति पर निगरानी रखने और आवश्यक सुधार करने के लिए लिया गया था। लेकिन कंपनियों द्वारा रिपोर्ट न देने से इस प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं।