Uttar Pradesh: हेरोइन रखने के आरोप में 20 साल जेल में काटे, कोर्ट में साबित हुआ पाउडर, रिहा, जानें पूरा मामला !

यह तब हुआ जब अय्यूब ने खुर्शीद को अपने घर से निकाल दिया था। जाहिर तौर पर खुर्शीद ने अपने पूर्व मकान मालिक को फंसाने के लिए सीओ सिटी अनिल सिंह, एसओ पुरानी बस्ती लालजी यादव और एसआई नर्मदेश्वर शुक्ला के साथ मिलकर साजिश रची थी। इन पुलिस अधिकारियों ने न केवल अय्यूब के पास नकली रखवाई, बल्कि उसे आगे फंसाने के लिए फॉरेंसिक सबूतों के साथ छेड़छाड़ भी की। वकील ने कहा, अब, 20 साल बाद अय्यूब बेदाग जेल से बाहर आया है। अदालत में यह साबित हो गया है कि नारकोटिक वास्तव में दुकानों में 20 रुपये में मिलने वाला साधारण पुराना पाउडर था। श्रीवास्तव के मुताबिक जब ट्रायल शुरू हुआ तो बस्ती की फॉरेंसिक लैब ने पाउडर में हेरोइन की मौजूदगी की पुष्टि की।
हालांकि जब कोर्ट ने इस हेरोइन के सैंपल को लखनऊ की लैब में भेजा तो पता चला कि ये हेरोइन थी ही नहीं। इसके बाद सैंपल को दिल्ली स्थित लैब में भेजा गया, जहां पुलिस ने सबूतों से छेड़छाड़ की। बाद में, जब अदालत ने लखनऊ के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों को तलब किया, तो उन्होंने पुष्टि की कि नमूना वास्तव में नकली था। इसका रंग भूरा हो गया था जबकि हेरोइन कभी भी, किसी भी मौसम में अपना रंग नहीं बदलती और सफेद रहती है। इसके बाद जस्टिस विजय कुमार कटियार ने गलत तरीके से आरोपी बनाये गये पीड़ित को बरी कर दिया। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पुलिस ने पूरे मामले को गलत तरीके से पेश किया और अभियोजन पक्ष ने अदालत का समय बर्बाद किया। हालांकि, अभी तक उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की घोषणा नहीं की गई है, जिन्होंने पूरा केस गढ़ा था।
--आईएएनएस
बस्ती न्यूज डेस्क !!!
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