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जनरलगंज में रथयात्रा से पहले साउंड सिस्टम हटाने को लेकर हंगामा, पुलिस और आयोजकों में नोकझोंक

जनरलगंज में रथयात्रा से पहले साउंड सिस्टम हटाने को लेकर हंगामा, पुलिस और आयोजकों में नोकझोंक

कानपुर के जनरलगंज क्षेत्र में शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा से पहले एक बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया। रथयात्रा की तैयारियों में जुटे आयोजकों और पुलिस के बीच साउंड सिस्टम हटाने को लेकर विवाद हो गया, जिससे दिनभर तनाव की स्थिति बनी रही। सुबह करीब 11 बजे जब पुलिस ने रथयात्रा के आयोजकों से साउंड सिस्टम हटाने के लिए कहा, तो यह बात आयोजकों को रास नहीं आई और उन्होंने विरोध शुरू कर दिया।

आयोजकों का कहना था कि रथयात्रा के आयोजन के दौरान यह साउंड सिस्टम आवश्यक था ताकि भक्तगण उत्सव का आनंद ले सकें। वहीं पुलिस का आरोप था कि बिना अनुमति के साउंड सिस्टम लगाया गया था, जो नगर निगम और पुलिस के नियमों का उल्लंघन था। इस विवाद के बाद आयोजकों ने आरोप लगाया कि थाना प्रभारी पनकी महंत ने उनके साथ अभद्रता की, जिससे माहौल और भी गरमा गया।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद आयोजकों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनके समर्थन में स्थानीय लोग भी सड़कों पर उतर आए और इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि रथयात्रा एक धार्मिक आयोजन है और इसमें कोई व्यवधान नहीं डाला जाना चाहिए। इसके अलावा, आयोजकों ने यह भी दावा किया कि उन्हें पहले से ही अनुमति प्राप्त थी, और ऐसे में पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह से अव्यावहारिक थी।

पुलिस और आयोजकों के बीच हुई तीखी नोकझोंक के दौरान कई बार स्थिति तनावपूर्ण हो गई, लेकिन प्रशासन ने किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया। पुलिस प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि साउंड सिस्टम की अनुमति नहीं मिली थी तो वे इस पर कार्रवाई करेंगे, लेकिन आयोजकों के साथ संवाद भी किया जा रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम के बीच यह सवाल भी उठता है कि क्या धार्मिक आयोजनों में प्रशासनिक प्रतिबंधों को लेकर उचित समन्वय हो रहा है, या फिर इस तरह के विवाद से लोगों का विश्वास प्रशासन से कम हो रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने एक जांच टीम भी गठित की है, जो इस विवाद का समाधान निकालेगी और आरोपों की जांच करेगी।

वहीं, आयोजक और स्थानीय लोग यह उम्मीद कर रहे हैं कि रथयात्रा की तैयारी बिना किसी बाधा के पूरी हो सके और इस धार्मिक आयोजन का शांतिपूर्वक आयोजन हो। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हुई हैं कि प्रशासन और आयोजकों के बीच क्या समझौता होता है।

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