नवाब अबू समद के मकबरे में हंगामा, सपा ने पप्पू सिंह चौहान को पार्टी से निष्कासित किया
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में नवाब अबू समद के ऐतिहासिक मकबरे में हुई तोड़फोड़ और हंगामे के मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) ने कड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता पप्पू सिंह चौहान को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
सपा की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि पार्टी किसी भी ऐसे सदस्य को बर्दाश्त नहीं करेगी, जो भाजपाई मानसिकता का हो या पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हो। बयान में यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि कोई सदस्य PDA से इतर विचारधारा रखता हो या समाजवादी पार्टी में रहते हुए भाजपा के इशारे पर काम कर रहा हो, तो उसे या तो तुरंत पार्टी छोड़ना होगा या चिन्हित करके निष्कासित किया जाएगा।
फतेहपुर मकबरे की घटना में पप्पू सिंह चौहान सहित लगभग 150 से अधिक लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस के अनुसार, घटना के दौरान कई लोगों ने मकबरे में घुसकर हंगामा किया और तोड़फोड़ की, जिससे ऐतिहासिक स्थल को नुकसान पहुंचा। घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक दलों के लिए ऐसे मामलों में तीव्र कार्रवाई करना जरूरी होता है ताकि पार्टी की छवि और अनुशासन बनाए रखा जा सके। सपा की यह कार्रवाई पार्टी के भीतर अनुशासन और राजनीतिक साफ-सुथरी छवि बनाए रखने के प्रयास के रूप में देखी जा रही है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि घटना की जांच जारी है और सभी आरोपी सदस्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। FIR में तोड़फोड़, सार्वजनिक अशांति और ऐतिहासिक स्थल को नुकसान पहुँचाने जैसी धाराओं का उल्लेख किया गया है।
सपा के नेताओं का मानना है कि इस प्रकार की घटनाओं में शामिल व्यक्ति न केवल कानून का उल्लंघन करता है, बल्कि पार्टी के सिद्धांतों और संगठनात्मक मूल्यों को भी ठेस पहुँचाता है। इसलिए पार्टी ने पप्पू सिंह चौहान को निष्कासित कर एक स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है कि कोई भी सदस्य पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त नहीं हो सकता।
स्थानीय लोगों ने भी इस कार्रवाई का स्वागत किया है। उनका कहना है कि ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर हंगामा और तोड़फोड़ की घटनाएं समाज में तनाव फैलाती हैं। प्रशासन और राजनीतिक दलों दोनों की सतर्कता ऐसी घटनाओं को रोकने में अहम भूमिका निभा सकती है।
अंततः, फतेहपुर मकबरे की घटना और पप्पू सिंह चौहान के निष्कासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सपा अपनी पार्टी की अनुशासनात्मक नीतियों को गंभीरता से लेती है। यह कदम न केवल पार्टी के भीतर अनुशासन स्थापित करेगा, बल्कि समाज और प्रशासन को भी यह संदेश देगा कि ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और सम्मान सर्वोपरि है।

