यूपी लोक सेवा आयोग भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच पर खतरा, चार साल से अभियोजन स्वीकृति और दस्तावेजों का इंतजार

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) में हुए अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा-2010 घोटाले की सीबीआई जांच अब बंद होने के कगार पर पहुंच गई है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के निदेशक प्रवीण सूद ने प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र लिखकर इस गंभीर स्थिति से अवगत कराया है।
पत्र में निदेशक ने बताया कि आयोग में हुई अनियमितताओं की जांच के दौरान सीबीआई ने तीन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी, साथ ही आयोग से महत्वपूर्ण अभिलेखों की मांग की गई थी। लेकिन चार साल बीतने के बाद भी प्रदेश सरकार और लोक सेवा आयोग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे जांच की प्रक्रिया ठप हो गई है।
प्रवीण सूद ने अपने पत्र में साफ तौर पर कहा है कि यदि जल्द ही इन दोनों मामलों में अपेक्षित सहयोग नहीं मिला तो सीबीआई को मजबूरन यह जांच बंद करनी पड़ सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ राज्य सरकार पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसी जांचों में सहयोग न मिलना उस नीति की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।
गौरतलब है कि अपर निजी सचिव (APS) भर्ती परीक्षा 2010 में गंभीर गड़बड़ियों और धांधलियों के आरोप सामने आए थे, जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर यह मामला सीबीआई को सौंपा गया था। सीबीआई ने शुरुआती जांच में कई अहम सुराग और दस्तावेज जुटाए थे, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर लगातार टालमटोल के कारण जांच अब ठहराव की स्थिति में है।
सूत्रों के अनुसार, जिन तीन अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी गई है, वे उस समय आयोग में प्रमुख पदों पर कार्यरत थे और उन पर परीक्षा में अनियमित नियुक्तियों, अंक बढ़ाने, और मनचाहे अभ्यर्थियों को चयनित कराने के आरोप हैं। वहीं आयोग से मांगे गए दस्तावेजों में उत्तर पुस्तिकाएं, चयन सूची और इंटरव्यू रिकॉर्ड शामिल हैं।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि वह जानबूझकर जांच को कमजोर कर रही है ताकि दोषियों को बचाया जा सके।