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यूपी पंचायत चुनाव, मतदाता सूची से सवा करोड़ नाम हटेंगे, एआई ने पकड़े डुप्लीकेट वोटर

यूपी पंचायत चुनाव: मतदाता सूची से सवा करोड़ नाम हटेंगे, एआई ने पकड़े डुप्लीकेट वोटर

उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची में बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ कर दिया है कि इस बार करीब सवा करोड़ मतदाता सूची से बाहर होंगे। इसका कारण है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) तकनीक, जिसने एक ही नाम से अलग-अलग ग्राम पंचायतों में दर्ज डुप्लीकेट वोटरों की पहचान कर ली है।

एआई ने पकड़े दोहराए गए नाम

निर्वाचन आयोग ने पहली बार पंचायत चुनाव की तैयारियों में तकनीक का सहारा लिया है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सिस्टम ने मतदाता सूची का मिलान करते हुए पाया कि कई ग्राम पंचायतों में एक ही नाम, पता और फोटो के आधार पर मतदाता दोहराए गए हैं। आयोग ने इन डुप्लीकेट नामों को सूचीबद्ध कर सभी जिलाधिकारियों को भेजा है।

घर-घर जाकर होगा सत्यापन

निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर इन मतदाताओं का भौतिक सत्यापन करें। यदि पाया जाता है कि किसी मतदाता का नाम दो अलग-अलग पंचायतों में दर्ज है, तो अतिरिक्त प्रविष्टि को सूची से हटा दिया जाएगा।

लोकतंत्र की मजबूती का तर्क

आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र की मजबूती और पारदर्शिता के लिए बेहद ज़रूरी है। डुप्लीकेट वोटरों की वजह से मतगणना पर असर पड़ता है और कई बार चुनाव परिणामों को लेकर विवाद खड़े होते हैं। इसलिए तकनीक की मदद से इस गड़बड़ी को रोकना अब प्राथमिकता है।

राजनीतिक सरगर्मी तेज

निर्वाचन आयोग के इस फैसले ने प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाना लोगों के मतदान के अधिकार पर चोट है। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि यह कदम स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव कराने की दिशा में ऐतिहासिक साबित होगा।

ग्रामीण इलाकों में चर्चा

ग्राम पंचायतों में इस निर्णय की गूंज साफ दिखाई दे रही है। कई जगह लोगों को आशंका है कि कहीं गलती से उनका नाम भी सूची से न काट दिया जाए। निर्वाचन आयोग ने हालांकि आश्वासन दिया है कि किसी भी वास्तविक मतदाता का नाम बिना जांचे-परखे सूची से नहीं हटाया जाएगा।

आगे की प्रक्रिया

बीएलओ की जांच रिपोर्ट जिलाधिकारियों को सौंपी जाएगी। इसके बाद अंतिम मतदाता सूची तैयार होगी, जिस पर आगामी पंचायत चुनाव आधारित होंगे। आयोग का दावा है कि यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद मतदाता सूची और अधिक शुद्ध, सटीक और पारदर्शी होगी।

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