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यूपी सरकार की मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर लगाए गंभीर आरोप, ब्राह्मणों और महिलाओं की बात न सुनने का लगाया आरोप

यूपी सरकार की मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर लगाए गंभीर आरोप, ब्राह्मणों और महिलाओं की बात न सुनने का लगाया आरोप

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। ताजा मामला कानपुर देहात की अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक और राज्य सरकार में मंत्री प्रतिभा शुक्ला से जुड़ा है। हाल ही में उन्होंने कानपुर की अकबरपुर पुलिस पर झूठा मुकदमा दर्ज करने का आरोप लगाया था, जिसके विरोध में वह थाने के बाहर घंटों धरने पर बैठी रहीं। यह मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब उन्होंने सरकार के ही एक वरिष्ठ नेता डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।

प्रतिभा शुक्ला ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक महिलाओं और ब्राह्मणों की बात नहीं सुनते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार ब्रजेश पाठक से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी बातें नज़रअंदाज़ कर दी गईं। मंत्री ने कहा, "मैंने कई बार अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मुझे कभी गंभीरता से नहीं लिया। न महिलाओं की सुनी जाती है, न ब्राह्मणों की आवाज़ पर ध्यान दिया जाता है।"

गौरतलब है कि यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब अकबरपुर थाना पुलिस ने एक कथित रूप से फर्जी मुकदमा दर्ज किया, जिसे लेकर प्रतिभा शुक्ला ने न सिर्फ पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए, बल्कि खुद थाने के बाहर बैठकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के चलते भाजपा की कार्यशैली पर विपक्ष ने भी निशाना साधा।

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि जब भाजपा की अपनी महिला मंत्री को ही थाने में इंसाफ नहीं मिल रहा, तो आम जनता की हालत क्या होगी। अब खुद भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं—एक महिला मंत्री और उपमुख्यमंत्री—के बीच खुलकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है, जिससे पार्टी के अंदरूनी मतभेद उजागर हो गए हैं।

यह मामला भाजपा के लिए चुनावी मौसम से पहले संकट बनता दिख रहा है। एक तरफ विपक्ष इसे भाजपा सरकार की आंतरिक खींचतान का उदाहरण बता रहा है, वहीं दूसरी तरफ आम जनता भी सवाल कर रही है कि जब सरकार के मंत्री ही अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए धरना देने को मजबूर हैं, तो आम जनता की सुनवाई कैसे होगी?

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