यूपी सरकार द्वारा प्राइमरी स्कूलों के मर्जर के फैसले पर हाई कोर्ट का सवाल: सर्वे रिपोर्ट पेश करने का आदेश

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राइमरी स्कूलों के मर्जर के फैसले के खिलाफ दाखिल रिट याचिका पर लखनऊ बेंच ने गुरुवार को महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। कोर्ट ने सरकार से यह सवाल किया कि क्या प्राइमरी स्कूलों के मर्जर का फैसला लेने से पहले कोई सर्वे करवाया गया था। अगर सर्वे करवाया गया था तो उसकी रिपोर्ट को पेश किया जाए।
कृष्णा कुमारी और अन्य ने किया था रिट याचिका दाखिल
यह आदेश सीतापुर की कृष्णा कुमारी और 50 अन्य लोगों की ओर से दायर की गई रिट याचिका पर दिया गया। इन लोगों ने प्राइमरी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ अदालत में अपील की थी। उनका कहना था कि यह फैसला बिना सही सर्वे और जनसहभागिता के लिया गया है, जिससे कई छात्रों और शिक्षकों के हितों का उल्लंघन हो सकता है।
हाई कोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह मर्जर के निर्णय से पहले यदि कोई सर्वे किया गया था, तो उसकी रिपोर्ट को अदालत में पेश करे। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को इस मर्जर के निहित प्रभावों और अर्थव्यवस्थाओं के बारे में भी पूरी जानकारी देनी होगी।
मर्जर का मामला
प्रदेश सरकार ने प्राइमरी स्कूलों के मर्जर का निर्णय लिया था, जिसके तहत कुछ छोटे स्कूलों को एक साथ मिलाकर बेहतर संसाधनों का वितरण और शिक्षा का स्तर बेहतर करने की कोशिश की जा रही थी। हालांकि, इस फैसले का विरोध भी हो रहा है, और कई शिक्षकों और अभिभावकों का मानना है कि इस मर्जर से शिक्षण गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है और छोटे गांवों के बच्चों को शिक्षा की पहुंच में समस्या हो सकती है।
आने वाला कानूनी दांव
यह मामला अब हाई कोर्ट में लंबित है और सरकार को सर्वे रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया है। अदालत इस मामले में आगे की सुनवाई करेगी और इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। इस बीच, शिक्षकों और अभिभावकों का यह भी कहना है कि यदि सर्वे रिपोर्ट में वास्तविकता के आंकड़े नहीं पेश किए गए तो यह फैसला रिव्यू होना चाहिए।