दिव्यांगजन सशक्तिकरण की दिशा में यूपी सरकार का बड़ा कदम, पदोन्नत शिक्षकों के तबादले में दिखाई संवेदनशीलता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार दिव्यांगजनों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मिशन मोड में काम कर रही है। ‘सुगम्य भारत’ के सपने को साकार करने में उत्तर प्रदेश न केवल अग्रणी भूमिका निभा रहा है, बल्कि अब वह प्रशासनिक स्तर पर भी दिव्यांगजनों की सुविधा और अधिकारों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण निर्णय ले रहा है। इसी क्रम में प्रदेश सरकार ने अधीनस्थ राजपत्रित (पुरुष एवं महिला शाखा) में पदोन्नति प्राप्त शिक्षकों के तबादले को लेकर एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है।
सरकार ने दिव्यांग शिक्षकों की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए उनके तबादलों में विशेष संवेदनशीलता दिखाई है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उन्हें ऐसे स्थानों पर तैनात किया जाए जहां आवागमन सुगम हो, आवश्यक संसाधन उपलब्ध हों और उनकी विशेष आवश्यकताओं का पूरा ध्यान रखा जा सके। इससे न केवल दिव्यांग शिक्षकों को कार्यस्थल पर सहूलियत मिलेगी, बल्कि वे बेहतर तरीके से अपने शैक्षणिक कर्तव्यों का निर्वहन भी कर सकेंगे।
राज्य सरकार के इस निर्णय से न केवल शिक्षा विभाग में कार्यरत दिव्यांगजन शिक्षक लाभान्वित होंगे, बल्कि यह नीति अन्य विभागों के लिए भी उदाहरण बनेगी। सूत्रों के अनुसार, विभागीय स्तर पर तबादलों की प्रक्रिया में यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि दिव्यांग शिक्षक अपने गृह जनपद या निकटवर्ती जिलों में ही तैनात रहें, ताकि उन्हें दैनिक जीवन में कम से कम चुनौतियों का सामना करना पड़े।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले भी कई बार यह स्पष्ट कर चुके हैं कि समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना उनकी सरकार की प्राथमिकता है, और दिव्यांगजन इसके विशेष केंद्र में हैं। सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाएं—जैसे दिव्यांगजन सशक्तिकरण अभियान, ट्राईसाइकिल और श्रवण यंत्र वितरण, विशेष छात्रवृत्ति आदि—इसी नीति की एक मजबूत झलक हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस बार तबादला नीति में दिव्यांग शिक्षकों के लिए विशेष विकल्प जोड़े गए हैं, जिन्हें ऑनलाइन आवेदन प्रणाली में शामिल किया गया है। इससे प्रक्रिया पारदर्शी और सरल हो गई है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इन शिक्षकों की पदोन्नति के उपरांत उन्हें ऐसी जगह न भेजा जाए जो उनके लिए भौगोलिक या शारीरिक रूप से कठिन हो।
प्रदेश सरकार के इस कदम की सराहना दिव्यांगजन संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी की है। उनका कहना है कि सरकार का यह निर्णय एक समावेशी और संवेदनशील प्रशासनिक दृष्टिकोण का परिचायक है, जो कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह पहल ‘सुगम्य भारत’ अभियान की भावना को मजबूती देने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश को एक समावेशी और दयालु शासन व्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ाने वाला कदम साबित होगा।

