फर्जी कंपनी बनाकर 10.76 करोड़ के फर्जी ITC घोटाले में दो अधिकारी सस्पेंड, फर्म से मिलीभगत का आरोप

फर्जी कंपनी बनाकर 10.76 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की धोखाधड़ी के मामले में उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग ने कड़ा एक्शन लेते हुए डिप्टी कमिश्नर मनीष कुमार और असिस्टेंट कमिश्नर रितेश कुमार बरनवाल को निलंबित कर दिया है। शासन द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में दोनों अधिकारियों की फर्जी फर्म से मिलीभगत की पुष्टि हुई है।
यह मामला उस वक्त सामने आया जब राज्य कर विभाग की इंटेलिजेंस विंग ने एक संदिग्ध फर्म की गतिविधियों पर नजर रखते हुए जांच शुरू की। जांच में सामने आया कि फर्म ने बिना किसी वास्तविक व्यापारिक गतिविधि के भारी मात्रा में आईटीसी का दावा किया था। दस्तावेजों की गहन जांच में पाया गया कि फर्म ने फर्जी बिलिंग के जरिए 10.76 करोड़ रुपये का बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त किया है।
मिलीभगत का खुलासा:
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इस फर्जीवाड़े में डिप्टी कमिश्नर मनीष कुमार और असिस्टेंट कमिश्नर रितेश कुमार बरनवाल ने जानबूझकर फर्म को क्लियरेंस दिया और दस्तावेजों की सक्रिय जांच नहीं की। अधिकारियों की भूमिका को लेकर संदेह गहराने के बाद शासन ने दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
राज्य कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, "यह घोटाला न केवल राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाला है, बल्कि विभाग की साख को भी धक्का पहुंचाने वाला है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
फर्जीवाड़े का तरीका:
जांच रिपोर्ट के अनुसार, फर्जी कंपनी ने अन्य फर्जी सप्लायर फर्मों से बड़ी मात्रा में इनवॉइस जनरेट कर नकली लेनदेन दिखाया। इन इनवॉइसेज के आधार पर कंपनी ने आईटीसी का क्लेम किया और उसे राज्य कर विभाग से मंजूरी भी मिल गई। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि यह पूरा खेल एक संगठित नेटवर्क के तहत रचा गया था, जिसमें सरकारी अधिकारियों की मौखिक या मौन सहमति शामिल थी।
आगे की कार्रवाई:
शासन ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही संबंधित फर्म के मालिकों और सहयोगियों की गिरफ्तारी के प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं। विभाग यह पता लगाने में जुटा है कि इस तरह की और कितनी फर्में राज्य में सक्रिय हैं, जो इसी तरह से फर्जीवाड़ा कर रही हैं।