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सहरसा पहुँची तुषार गांधी की ‘बदलो बिहार, नई सरकार’ यात्रा, सामाजिक-राजनीतिक संवाद कार्यक्रम में रखे विचार

सहरसा पहुँची तुषार गांधी की ‘बदलो बिहार: नई सरकार’ यात्रा, सामाजिक-राजनीतिक संवाद कार्यक्रम में रखे विचार

महात्मा गांधी के प्रपौत्र और सामाजिक कार्यकर्ता तुषार गांधी की नेतृत्व में चल रही 'बदलो बिहार: नई सरकार' यात्रा बुधवार को सहरसा पहुँची। इस अवसर पर स्थानीय देव रिसोर्ट में एक सामाजिक-राजनीतिक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल हुए।

इस यात्रा का उद्देश्य बिहार के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक हालात पर जन संवाद के माध्यम से लोगों को जागरूक करना और बदलाव के लिए प्रेरित करना है। तुषार गांधी ने कार्यक्रम के दौरान अपने विचार साझा करते हुए कहा, "बिहार ऐतिहासिक रूप से विचारों और आंदोलनों की भूमि रहा है। आज जरूरत है कि यहां के लोग फिर से बदलाव के लिए एकजुट हों और नई सोच वाली सरकार के लिए रास्ता बनाएं।"

युवाओं से किया संवाद

तुषार गांधी ने खासकर युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझें, और लोकतंत्र में भागीदारी निभाएं। उन्होंने कहा कि शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और न्याय जैसे मुद्दों पर लोगों को गंभीरता से सोचने की जरूरत है। उन्होंने युवाओं से सवाल पूछने, तर्क करने और जवाबदेही की मांग करने का आग्रह किया।

स्थानीय मुद्दों पर भी चर्चा

कार्यक्रम में सहरसा और कोसी क्षेत्र के स्थानीय मुद्दों जैसे बाढ़, बेरोजगारी, शिक्षा व्यवस्था और पलायन पर भी चर्चा हुई। तुषार गांधी ने कहा कि इन मुद्दों को लेकर बिहार के लोगों को एकजुट होकर सत्ता से जवाब मांगना होगा। उन्होंने कहा कि 'बदलो बिहार' यात्रा का मकसद सिर्फ आलोचना करना नहीं, बल्कि समाधान की दिशा में संवाद शुरू करना है।

क्या है ‘बदलो बिहार: नई सरकार’ अभियान?

यह यात्रा बिहार के विभिन्न जिलों में जाकर जनता के बीच संवाद स्थापित कर रही है। तुषार गांधी इस अभियान के जरिए बिहार में वैकल्पिक राजनीति और नई सोच को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि लंबे समय से राज्य में भ्रष्टाचार, जातिवाद और कुप्रशासन ने विकास को बाधित किया है, और अब समय आ गया है कि जनता एक नये नेतृत्व को मौका दे।

अगला पड़ाव

सूत्रों के अनुसार, तुषार गांधी की यह यात्रा सहरसा के बाद मधेपुरा, सुपौल और अररिया की ओर बढ़ेगी, जहां भी इसी तरह के संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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