
अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी के एक मामले में सीबीआई की टीम ने बुधवार को वाराणसी में छापेमारी की। महमूरगंज में संचालित एक कॉल सेंटर से तीन युवकों को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। यहां से 70 लैपटॉप और इतने ही मोबाइल फोन जब्त किए गए। यह कॉल सेंटर जापान में साइबर ठगी करने वाले गिरोह का ठिकाना था। सीबीआई को सूचना मिली थी कि भारत से जापान में साइबर ठगी की जा रही है। साइबर ठगी करने वालों के गिरोह ने देश के अन्य स्थानों के साथ वाराणसी को भी अपना ठिकाना बनाया है। बुधवार की सुबह सीबीआई की टीम वाराणसी पहुंच गई। भेलूपुर और सिगरा थाने की फोर्स के साथ महमूरगंज स्थित एक बहुमंजिला इमारत में छापेमारी की गई। यहां 70 युवक काम करते मिले, उनके लैपटॉप चेक किए गए। उनके मोबाइल फोन जब्त किए गए। सीबीआई की टीम ने एक-एक लैपटॉप की जांच की और उसमें मौजूद दस्तावेजों की जांच की। संदिग्ध पाए गए सभी लैपटॉप जब्त कर लिए गए। टेकू समुराई के नाम से कॉल सेंटर चलाने वाले शुभम जायसवाल, विवेक राज, आदर्श कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई की छापेमारी बेहद गोपनीय थी और उन्होंने स्थानीय पुलिस को छापेमारी के स्थान के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। जांच के दौरान उनका सहयोग भी नहीं लिया गया।
युवा जानते हैं जापानी भाषा
महमूरगंज स्थित कॉल सेंटर में काम करने वाले सभी युवा जापानी भाषा जानते हैं। इनमें से ज्यादातर बिहार के हैं। पकड़े गए संचालकों ने उन्हें बताया था कि उन्हें जापानी लोगों के लिए काम करने वाले ग्राहक सेवा केंद्र में काम करना है। युवकों को 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता था और ज्यादा ग्राहकों तक पहुंचने के लिए कमीशन भी तय किया जाता था।
कॉल सेंटर से जापान में साइबर ठगी की जाती थी
वाराणसी में संचालित कॉल सेंटर जापान में साइबर ठगी करने वाले गिरोह का अड्डा था। इसका लिंक देश में संचालित अन्य सेंटरों से था। यहां काम करने वाले युवा जापानी लोगों को फोन करते थे। वे खुद को माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनियों के तकनीकी सहायता कर्मचारी बताते थे। कॉल करने वाले कहते थे कि उनके इलेक्ट्रॉनिक सामान में वायरस है। वे उनसे एक ऐप डाउनलोड करने को कहते थे, ताकि उसे हटा दिया जाए। इसके लिए वे लिंक भेजते थे, जिसे डाउनलोड करने पर उनका सिस्टम हैक हो जाता था और बैंक डिटेल समेत उनकी निजी जानकारी कॉल सेंटर तक पहुंच जाती थी। इसके बाद वे जापान में ठगी के शिकार लोगों के बैंक खातों से भारत में संचालित बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कर देते थे।
सबका काम बंटा हुआ था
कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों का काम बंटा हुआ था। एक टीम कॉल करती थी, जबकि दूसरी टीम सिस्टम हैकिंग ऐप डाउनलोड कर बैंक डिटेल हासिल करती थी। तीसरी टीम जापानी लोगों के बैंक खातों से भारत में दो-तीन बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करती थी। चौथी टीम जल्द से जल्द सौ से ज्यादा बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करती थी।
दो से तीन महीने में वेतन देते थे
महमूरगंज में कॉल सेंटर वर्ष 2021 से चालू था। अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी गिरोह के मुख्य सदस्य शुभम जायसवाल, विवेक राज, आदर्श कुमार जापानी भाषा जानने वाले युवाओं को ढूंढकर कॉल सेंटर लाते थे। उन्हें गलत जानकारी देकर काम करवाते थे। युवा नौकरी छोड़कर न जाएं, इसके लिए वे हर तीन महीने में उन्हें पैसे देते थे। उनके मुताबिक, अच्छा काम करने वालों को वे अच्छा पैसा देते थे, ताकि दूसरे युवा भी उनके काम में सहयोग करें।
वाराणसी में आसानी से मिल जाते थे जापानी भाषा जानने वाले
अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के प्रमुख केंद्र वाराणसी में साइबर ठगी करने वाले गिरोह को जापानी भाषा जानने वाले लोग आसानी से मिल जाते थे। सारनाथ बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र होने के कारण यहां दूसरे देशों के बौद्ध धर्मावलंबियों के साथ ही बड़ी संख्या में जापानी पर्यटक भी आते हैं। गाइड के तौर पर काम करने वाले युवा इस जगह के बारे में जानकारी देने के लिए जापानी भाषा सीखते हैं। साइबर ठगी करने वाले गिरोह को ये आसानी से मिल जाते थे।
कॉल सेंटर में काम करने वाले सभी युवा जापानी भाषा जानते हैं। वाराणसी देश से सीधे जुड़ा होने के कारण साइबर ठगी करने वालों ने इसे अपना अड्डा बना लिया। साइबर ठगी में बिहारी युवाओं की भूमिका काफी अधिक पाई गई है। सीबीआई ने जिस कॉल सेंटर पर छापा मारा, उसमें बड़ी संख्या में बिहारी युवा थे। चूंकि बिहार वाराणसी से जुड़ा हुआ है, इसलिए यहां सेंटर बनाना साइबर ठगी करने वालों के लिए फायदेमंद रहा।