नेपाल सीमा समेत कई शहरों में हिंदुओं के अवैध धर्मांतरण का मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर गिरफ्तार, यूपी एटीएस को मिले पुख्ता सुराग
नेपाल सीमा समेत देश के कई हिस्सों में हिंदुओं के अवैध धर्मांतरण के सिंडीकेट का मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर निकला है। उत्तर प्रदेश एटीएस ने बीते सात दिनों के दौरान जमालुद्दीन से पूछताछ की, जिसमें कई महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। इसके बाद पुलिस ने उसे और उसके सहयोगी नीतू को हिरासत में लिया और बुधवार को दोनों को कस्टडी रिमांड समाप्त होने पर वापस जेल भेज दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, एटीएस छांगुर को फिर से रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है, ताकि मामले में और गहरी जानकारी प्राप्त की जा सके।
अवैध धर्मांतरण सिंडीकेट का खुलासा
उत्तर प्रदेश एटीएस द्वारा की गई पूछताछ में यह पता चला है कि जमालुद्दीन उर्फ छांगुर और उसके सहयोगी नेपाल और उत्तर भारत के विभिन्न शहरों में हिंदू समुदाय के लोगों का अवैध धर्मांतरण करवा रहे थे। ये लोग हिंदू परिवारों को बहलाकर या धोखे से उनका धर्म परिवर्तन करवाते थे, जिसके बदले में उन्हें पैसे या अन्य फायदे दिए जाते थे। इस सिंडीकेट का नेटवर्क बहुत ही मजबूत और बड़े पैमाने पर फैल चुका था, जो अब एटीएस की जांच का मुख्य लक्ष्य बना हुआ है।
पुलिस की सख्ती बढ़ी
छांगुर और नीतू की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने दावा किया है कि उनके पास कई पुख्ता सबूत हैं, जो इस पूरे अवैध धर्मांतरण सिंडीकेट के कामकाज की पुष्टि करते हैं। एटीएस अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में और भी गिरफ्तारी हो सकती है, और इस गिरोह के और सदस्य अब जल्द ही पकड़ में आ सकते हैं।
इसके अलावा, एटीएस यह भी जांच कर रही है कि नेपाल सीमा से लेकर उत्तर भारत के अन्य राज्यों तक इस नेटवर्क के किस तरह के कनेक्शन हैं। कई बड़े शहरों में यह सिंडीकेट अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था, जिनकी जांच के लिए एटीएस टीमों को अलग-अलग जगहों पर भेजा गया है।
कस्टडी रिमांड और भविष्य की कार्रवाई
बुधवार को छांगुर और नीतू को पुलिस कस्टडी रिमांड समाप्त होने पर जेल भेज दिया गया। हालांकि, एटीएस सूत्रों का कहना है कि छांगुर को फिर से रिमांड पर लिया जा सकता है, ताकि उसके द्वारा किए गए अन्य अपराधों और सिंडीकेट के बारे में और जानकारी हासिल की जा सके।
सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान
इस मामले को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अत्यधिक गंभीर हैं, क्योंकि धर्मांतरण जैसे संवेदनशील मुद्दे से जुड़ा यह मामला धार्मिक और सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है। इसलिए, एटीएस और अन्य जांच एजेंसियां इस मामले में पूरी सतर्कता बरत रही हैं।

