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डी फार्मा कोर्स की मंजूरी न मिलने पर हाईकोर्ट सख्त, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पूरी काउंसिलिंग प्रक्रिया रद्द की

डी फार्मा कोर्स की मंजूरी न मिलने पर हाईकोर्ट सख्त, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पूरी काउंसिलिंग प्रक्रिया रद्द की

डी फार्मा (डिप्लोमा इन फार्मेसी) कोर्स को लेकर फार्मेसी कॉलेजों की लंबित मान्यता याचिकाओं पर देरी से नाराज इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए डी फार्मा कोर्स की पूरी काउंसिलिंग प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। साथ ही, PCI को दो सप्ताह के भीतर लंबित आवेदनों पर निर्णय लेने का स्पष्ट निर्देश दिया है।

क्या है मामला?

उत्तर प्रदेश सहित देशभर के कई फार्मेसी कॉलेजों ने PCI के समक्ष डी फार्मा कोर्स के लिए मान्यता की मांग करते हुए आवेदन किया था। लेकिन इन कॉलेजों के आवेदन पर समय रहते कोई फैसला नहीं लिया गया। इसके चलते कई संस्थानों को काउंसिलिंग में शामिल होने से वंचित रहना पड़ा और सैकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया।

कॉलेजों द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया कि PCI जानबूझकर कॉलेजों के आवेदन लंबित रख रही है और बिना ठोस कारण के मंजूरी नहीं दी जा रही, जिससे शैक्षणिक सत्र प्रभावित हो रहा है।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह की लापरवाही निंदनीय है। कोर्ट ने PCI की कार्यप्रणाली को असंतोषजनक बताते हुए कहा कि नियामक संस्था का यह दायित्व है कि वह तय समयसीमा में आवेदन पत्रों का निपटारा करे ताकि छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ न हो।

कोर्ट ने डी फार्मा कोर्स की पूरी काउंसिलिंग प्रक्रिया को रद्द करते हुए PCI को निर्देश दिया है कि वह दो हफ्तों के भीतर लंबित आवेदनों पर विचार कर आदेश पारित करे।

विद्यार्थियों को मिली राहत

हाईकोर्ट के इस फैसले से उन विद्यार्थियों को राहत मिली है जो योग्य कॉलेजों में प्रवेश से वंचित रह गए थे क्योंकि उनके कॉलेजों को मान्यता नहीं मिली थी। अब PCI के आदेश के बाद संशोधित काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है।

क्या आगे होगा?

  • PCI को 2 सप्ताह में सभी लंबित आवेदनों पर निर्णय देना होगा।

  • इसके बाद संशोधित सूची के आधार पर दोबारा डी फार्मा काउंसिलिंग प्रक्रिया आयोजित की जा सकती है।

  • जिन कॉलेजों को मान्यता मिलेगी, उन्हें नए सिरे से छात्रों को प्रवेश देने का मौका मिलेगा।

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