मंदिर आंदोलन के नायकों को मिलेगी अमर पहचान, इन नामों से जाने जाएंगे राम जन्मभूमि परिसर के भवन

जहां आस्था, संघर्ष और संकल्प की त्रिवेणी प्रवाहित होती है, वहां अब इतिहास को जीवंत करने की ऐतिहासिक पहल की जा रही है। राम मंदिर परिसर में बन रहे प्रमुख भवनों, विश्राम गृहों, सांस्कृतिक केंद्रों का नाम मंदिर आंदोलन के महानायकों के नाम पर रखा जाएगा। 7 मार्च को हुई श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में राम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले नायकों को स्थाई श्रद्धांजलि देने का निर्णय लिया गया। ऐसे में परिसर में बन रहे सभागार, तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र और सेवा केंद्र के नामकरण को लेकर चर्चा हुई, जिस पर ट्रस्टियों ने सहमति जताई है। राम मंदिर में चार प्रवेश द्वार भी बनाए जा रहे हैं। बैठक में प्रवेश द्वारों का नाम जगद्गुरुओं के नाम पर रखने का निर्णय लिया गया है। महंत रामशरण दास का कहना है कि भावनाओं से जुड़ा यह फैसला न सिर्फ आंदोलन के प्रतीकों का सम्मान करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। श्रद्धालुओं के लिए राम मंदिर परिसर अब सिर्फ दर्शन का स्थान नहीं रहेगा, बल्कि संघर्ष, त्याग और विजयी संकल्प की जीवंत कहानी भी कहेगा। मंदिर आंदोलन के नायकों की स्मृतियां भी अक्षुण्ण रहेंगी। राम मंदिर ट्रस्ट का यह निर्णय स्वागत योग्य है।
सामाजिक समरसता का प्रतीक है श्रीराम का मंदिर: नृत्य गोपाल दास
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने ज्येष्ठ पूर्णिमा पर रामलला और राम दरबार में हाजिरी लगाई। वे पांच जून को आयोजित प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं हो सके थे। उन्होंने कहा कि राम भक्तों की तपस्या फलीभूत हो रही है। सामाजिक समरसता का प्रतीक श्रीराम का मंदिर पूरे समाज को एक सूत्र में बांध रहा है। उन्होंने सप्त मंडपम और परकोटा मंदिरों के दर्शन भी किए।
इन भवनों का होगा नामकरण
राम जन्मभूमि परिसर के दक्षिण दिशा में 500 लोगों की क्षमता वाला एक सभागार बनाया जा रहा है। इसका नामकरण जनजागरण की मशाल जलाने वाले विहिप के रणनीतिकार अशोक सिंघल के नाम पर किया जाएगा। इसका निर्माण अप्रैल 2026 तक पूरा हो जाएगा।
राम जन्मभूमि परिसर में बने यात्री सुविधा केंद्र के प्रवेश द्वार का नाम बाबा अभिराम दास के नाम पर रखने का फैसला किया गया है। बाबा अभिराम दास को 22-23 दिसंबर 1949 की रात विवादित परिसर में रामलला की मूर्ति स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है।
राम जन्मभूमि परिसर में बने यात्री सुविधा केंद्र के भवन को महंत अवेद्यनाथ यात्री सुविधा केंद्र के नाम से जाना जाएगा। यह भवन रामलला के दर्शन मार्ग पर स्थित है। महंत अवेद्यनाथ का मंदिर आंदोलन में अहम योगदान था और वे सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरु भी हैं।
राम जन्मभूमि दर्शन पथ पर स्थित यात्री सेवा केंद्र का नाम मंदिर आंदोलन के महानायक रामचंद्र दास परमहंस के नाम पर रखा जाएगा। वे राम जन्मभूमि ट्रस्ट के पहले अध्यक्ष थे। राम मंदिर का पहला शिलान्यास 9 नवंबर 1989 को उनके नेतृत्व में किया गया था।