Samachar Nama
×

लखनऊ की नामी कंपनी का डायरेक्टर निकला साइबर फ्रॉड गिरोह का सरगना, करोड़ों की ठगी में खुलासा

लखनऊ की नामी कंपनी का डायरेक्टर निकला साइबर फ्रॉड गिरोह का सरगना, करोड़ों की ठगी में खुलासा

लखनऊ की प्रतिष्ठित मानी जा रही "श्री नारायणी इंफ्रा डेवलपर प्रा. लि." कंपनी का डायरेक्टर अब एक साइबर फ्रॉड गिरोह का मुख्य खिलाड़ी निकला है। उत्तर प्रदेश एसटीएफ की जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि इस कंपनी के कॉरपोरेट अकाउंट का इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट और अन्य साइबर ठगी से जुड़े करोड़ों रुपये की ट्रांजैक्शन के लिए किया जा रहा था

जानकारी के अनुसार, डायरेक्टर को क्रिप्टोकरेंसी के रूप में कमीशन दिया जाता था। इस फर्जीवाड़े का शिकार बना एक रिटायर्ड वैज्ञानिक, जिसे तीन दिन तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखकर 1.29 करोड़ रुपये की ठगी की गई। यह पूरी राशि कंपनी के कॉरपोरेट अकाउंट में ट्रांसफर कराई गई थी।

एसटीएफ की टीम ने कंपनी के डायरेक्टर के साथ-साथ एक अन्य खाते के धारक को भी गिरफ्तार किया है, जो इस पूरे नेटवर्क में ठगे गए पैसों को हासिल करने और उसे आगे ट्रांसफर करने की जिम्मेदारी निभा रहा था।

क्या है 'डिजिटल अरेस्ट'?

'डिजिटल अरेस्ट' एक नई तरह की साइबर ठगी का तरीका है, जिसमें जालसाज खुद को किसी एजेंसी जैसे CBI, ED या पुलिस का अधिकारी बताकर वीडियो कॉल करते हैं। पीड़ित को मनोवैज्ञानिक दबाव में रखकर कहा जाता है कि उस पर मनी लॉन्ड्रिंग या किसी गंभीर अपराध में शामिल होने का आरोप है और जांच के दौरान उसे फोन पर ही नजरबंद रहना होगा। इसी दौरान उनसे पैसे ट्रांसफर कराए जाते हैं, जिनका हवाला 'जांच' या 'सुरक्षा डिपॉजिट' के रूप में दिया जाता है।

करोड़ों रुपये का खुलासा

एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने देशभर से करोड़ों रुपये इकट्ठा कर लखनऊ स्थित कंपनी के अकाउंट में मंगवाए। फिर उन पैसों को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेश भेजा गया, जिससे रकम का ट्रेस कर पाना और मुश्किल हो गया।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अब तक कंपनी के अकाउंट से लाखों रुपये की ट्रांजैक्शन के डिजिटल साक्ष्य एकत्र किए जा चुके हैं, और बैंकिंग नेटवर्क, UPI, और क्रिप्टो वॉलेट के माध्यम से पूरी मनी ट्रेल खंगाली जा रही है

आने वाले दिन और गिरफ्तारियां संभव

इस केस को देखते हुए अन्य राज्यों की एजेंसियों और इंटरपोल की मदद भी ली जा सकती है, क्योंकि गिरोह का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला हो सकता है

फिलहाल, गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ जारी है, और STF यह भी पता लगा रही है कि क्या कंपनी का कोई और उच्च अधिकारी या कर्मचारी इस फर्जीवाड़े में शामिल था

यह मामला बिजनेस फ्रंट पर काम कर रहे सफेदपोश जालसाजों की असलियत को उजागर करता है, जो साइबर क्राइम को कॉर्पोरेट लिबास में छिपाकर अंजाम दे रहे हैं। पुलिस ने लोगों से साइबर कॉल और डिजिटल अरेस्ट जैसी चालों से सतर्क रहने की अपील की है।

Ask ChatGPT

Share this story

Tags