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बांस से बढ़ रही शहर की हरी छवि, वन अनुसंधान संस्थान ने रोपे एक लाख पौधे

बांस से बढ़ रही शहर की हरी छवि, वन अनुसंधान संस्थान ने रोपे एक लाख पौधे

बांस और मानव जीवन का रिश्ता सदियों पुराना है। यह न केवल जीवन के विभिन्न कामों में सहायक रहा है, बल्कि हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के दौरान भी बांस का महत्व है। अब यह पौधा शहर की वायु गुणवत्ता सुधार में भी अहम भूमिका निभा रहा है। बांस अन्य पेड़ों की तुलना में लगभग 35 प्रतिशत अधिक ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है और प्रति हेक्टेयर लगभग 12 टन कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने की क्षमता रखता है।

इन गुणों को देखते हुए, राज्य वन अनुसंधान संस्थान ने शहर के विभिन्न हिस्सों में बांस के पौधे रोपने का अभियान शुरू किया है। संस्थान के अधिकारियों के अनुसार, इस अभियान के तहत अब तक एक लाख बांस के पौधे रोपित किए जा चुके हैं। यह कदम शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने और हरित क्षेत्र बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

बीते दिनों ही वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के आधार पर शहर को देश में पांचवां स्थान प्राप्त हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सुधार शहर में पेड़-पौधों के बढ़ते प्रभाव और वन संरक्षण प्रयासों का परिणाम है। बांस जैसे पौधे न केवल हवा को शुद्ध करते हैं, बल्कि तापमान को नियंत्रित करने और धूल कणों को कम करने में भी मददगार साबित होते हैं।

वन अनुसंधान संस्थान के अधिकारियों ने बताया कि बांस की खेती और रोपाई से न केवल पर्यावरणीय लाभ होंगे, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचेगा। बांस के पौधे बढ़ने के बाद उनसे विभिन्न उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं, जिससे रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी।

विशेषज्ञों ने बताया कि बांस अन्य पेड़ों की तुलना में जल्दी बढ़ता है और इसकी देखभाल कम खर्चीली होती है। यही कारण है कि इसे शहरों में हरित क्षेत्र बढ़ाने और वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए उपयुक्त माना जा रहा है। इसके अलावा, बांस का इस्तेमाल निर्माण, फर्नीचर और हस्तशिल्प में भी किया जाता है, जिससे यह आर्थिक दृष्टि से भी मूल्यवान है।

नगर निगम और वन विभाग ने मिलकर शहर के प्रमुख पार्क, सड़कों और खाली पड़ी जमीनों पर बांस के पौधे लगाने की योजना बनाई है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संरक्षण करना है, बल्कि शहरवासियों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाना है।

वन अनुसंधान संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “बांस को शहर की हरित क्रांति का प्रमुख हिस्सा माना जा रहा है। यह न केवल हवा को शुद्ध करता है, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने और शहर को अधिक स्वच्छ बनाने में मदद करता है। हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में बांस का यह अभियान और व्यापक रूप लेगा।”

शहरवासियों का भी कहना है कि हरियाली बढ़ने से न केवल वातावरण शुद्ध होगा, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि बांस के साथ-साथ अन्य पर्यावरणीय पौधों को भी शहर में अधिक से अधिक लगाया जाए, जिससे समग्र वायु गुणवत्ता में सुधार हो।

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