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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्र से शिक्षक बने याचियों की पुरानी पेंशन की मांग पर सख्त रुख अपनाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्र से शिक्षक बने याचियों की पुरानी पेंशन की मांग पर सख्त रुख अपनाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्र से शिक्षक बने याचियों की पुरानी पेंशन की मांग को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को चेतावनी दी है कि यदि वे चार सितंबर तक याचिका में पारित आदेश के मुताबिक फैसला नहीं लेते हैं, तो उन्हें अदालत में पेश होना होगा।

मामले का विवरण

यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की अदालत ने रमेश चंद्र और 36 अन्य याचियों की ओर से दाखिल की गई अवमानना याचिका पर दिया है। याचियों का आरोप है कि उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है, जबकि यह उनका संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया है कि याचियों की मांगों पर जल्द से जल्द निर्णय लें।

कोर्ट की सख्त चेतावनी

न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि आदेश के पालन में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि तय समय सीमा तक आदेशानुसार कदम नहीं उठाए गए तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना पड़ेगा।

याचियों की उम्मीदें

शिक्षामित्र से शिक्षक बने याचियों ने कोर्ट के इस सख्त रुख को न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। उनका कहना है कि इससे उन्हें अपने हक के लिए न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। याचियों का कहना है कि पुरानी पेंशन न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है।

बेसिक शिक्षा परिषद की स्थिति

बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा है कि वे चार सितंबर तक याचियों के मामले में निर्णय लेने के लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि याचियों के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा और शीघ्र ही समाधान निकाला जाएगा।

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