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कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय पर शिक्षक संगठनों का विरोध जारी, 'आप' पहुंच सकती है सुप्रीम कोर्ट

कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय पर शिक्षक संगठनों का विरोध जारी, 'आप' पहुंच सकती है सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश में कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) के सरकारी फैसले के खिलाफ विरोध की आवाजें तेज होती जा रही हैं। एक ओर जहां शिक्षक संगठन इसे छात्रों और शिक्षकों दोनों के हितों के खिलाफ बता रहे हैं, वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनी दी है।

शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह से मुलाकात कर इस फैसले पर गंभीर आपत्ति दर्ज कराई। शिक्षकों का कहना है कि पेयरिंग की प्रक्रिया न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी, बल्कि इससे महिला शिक्षकों और छोटे बच्चों को भी आवागमन में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।

शिक्षकों की प्रमुख आपत्तियां

शिक्षकों का कहना है कि:

  • एक ही ग्राम पंचायत में स्कूलों का विलय करने से बच्चों को दूर के विद्यालयों तक जाना पड़ेगा, जिससे ड्रॉपआउट की संभावना बढ़ेगी।

  • ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) की मूल भावना को ठेस पहुंचेगी।

  • महिला शिक्षकों और अभिभावकों की सुरक्षा और सुविधा को नजरअंदाज किया जा रहा है।

  • शिक्षकों का कहना है कि सरकार को स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं और शिक्षकों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, न कि विलय के नाम पर बंद करने की नीति अपनानी चाहिए।

'आप' की सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनी

वहीं आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने सरकार के इस फैसले को गरीब और पिछड़े तबके के बच्चों के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि परिषदीय विद्यालय उन लाखों बच्चों की शिक्षा का आधार हैं जो निजी स्कूलों में पढ़ने की सामर्थ्य नहीं रखते। यदि सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया, तो पार्टी इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी

सरकार का पक्ष

सरकार का कहना है कि यह निर्णय परिषदीय शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। अधिकारियों के अनुसार, जिन विद्यालयों में छात्र संख्या 20 से कम है, वहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में चुनौतियां आती हैं, इसलिए पेयरिंग आवश्यक है। साथ ही, किसी भी बच्चे की शिक्षा बाधित न हो, इसके लिए विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

फिलहाल गतिरोध जारी

इस मुद्दे पर शिक्षक संगठनों और सरकार के बीच फिलहाल कोई सहमति नहीं बन सकी है। शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द इस फैसले को वापस नहीं लिया गया, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।

अब देखना यह होगा कि सरकार इस विरोध को कैसे संतुलित करती है और क्या सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने से पहले कोई समाधान निकलता है।

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