
पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या एक बार फिर से मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखने की तैयारी में हैं। दल बदलने के लिए प्रसिद्ध रहे मौर्या अब मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनने का दावा कर रहे हैं। वे पिछले कुछ समय से चुनावी चर्चाओं से बाहर चल रहे थे, लेकिन गुरुवार को उन्होंने अपना राजनीतिक गठबंधन घोषित कर दिया, जिसमें कुल नौ दलों को शामिल किया गया है।
स्वामी प्रसाद मौर्या, जो पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) के महत्वपूर्ण नेता रह चुके थे, और अब सपा के साथ मिलकर राजनीति में सक्रिय हो रहे हैं, ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज़ हो चुकी हैं। उनका यह दावा और गठबंधन राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर चुका है।
मौर्या का मुख्यमंत्री पद का दावा राज्य में आगामी चुनावों के लिए एक बड़ा बयान माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर उनके गठबंधन को जनता का समर्थन मिलता है, तो वे मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस गठबंधन में शामिल दलों का एकमात्र उद्देश्य उत्तर प्रदेश में बदलाव लाना और भाजपा की सरकार को सत्ता से हटाना है।
गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं ने मौर्या के इस कदम को सराहा है और उन्हें प्रदेश की राजनीति में एक नई दिशा देने का वादा किया है। मौर्या ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए काम करना होगा, जैसा कि उन्होंने अपने पिछले राजनीतिक करियर में किया था।
स्वामी प्रसाद मौर्या का दल बदलने का इतिहास भी काफी चर्चित है। वह पहले बसपा के सदस्य थे और फिर भाजपा में शामिल हुए थे, जहां उन्होंने महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। लेकिन 2022 में भाजपा से असंतुष्ट होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी और समाजवादी पार्टी (S.P.) का दामन थामा। अब एक बार फिर से उन्होंने अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने की कसरत शुरू कर दी है, जो प्रदेश की राजनीति में एक नए मोड़ की शुरुआत हो सकती है।
उनके गठबंधन की घोषणा से उत्तर प्रदेश की राजनीतिक जंग में एक नई रंगत आ गई है। इससे पहले, भाजपा और सपा दोनों ही पक्ष आगामी चुनावों के लिए अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं, लेकिन मौर्या का यह कदम पूरे राज्य में राहत के संकेत दे सकता है। गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं ने मौर्या के नेतृत्व में अपने राजनीतिक संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया है।
विश्लेषकों का मानना है कि इस गठबंधन के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं और आने वाले चुनावों में यह गठबंधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। मौर्या की कोशिश अब भाजपा के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन खड़ा करने की है, जो सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।