आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर हादसों की बड़ी वजह बनी नींद की झपकी और ओवरस्पीड, युवाओं की हो रही सबसे ज्यादा मौतें

उत्तर प्रदेश के प्रमुख हाईवे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर होने वाले सड़क हादसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी में चिंता जताई गई है। समिति की हालिया बैठक में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता केसी जैन ने बताया कि इस हाईवे पर नींद की झपकी (ड्राइवर की थकावट) और तेज रफ्तार (ओवरस्पीडिंग) दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह बन रही है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन हादसों में युवाओं की मौतों की संख्या सबसे ज्यादा है।
केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को संबोधित करते हुए कहा कि लगातार लंबी दूरी तय करने वाले वाहन चालकों को उचित विश्राम नहीं मिल पाता, जिससे थकान के चलते झपकी लेना एक सामान्य कारण बन गया है। ऐसे में तेज गति से चल रहे वाहन जब नियंत्रण से बाहर होते हैं, तो हादसे जानलेवा बन जाते हैं।
ठोस उपायों की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट की बैठक में अधिवक्ता जैन ने एक्सप्रेसवे पर हादसों को रोकने के लिए ठोस और व्यावहारिक उपाय अपनाने की मांग की। उन्होंने सुझाव दिया कि:
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रेस्ट जोन और विश्राम स्थल की संख्या बढ़ाई जाए।
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ओवरस्पीड डिटेक्शन सिस्टम और सीसीटीवी निगरानी को बेहतर बनाया जाए।
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खासकर रात में चलने वाले वाहनों की थकान जांच प्रणाली (Fatigue Detection System) लागू की जाए।
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युवाओं को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाएं।
सालाना डेटा अपलोड न होने पर भी उठे सवाल
बैठक में यह मुद्दा भी उठाया गया कि सड़क हादसों का वार्षिक विवरण नियमित रूप से अपलोड नहीं किया जा रहा है। इससे न केवल पारदर्शिता में कमी आती है, बल्कि प्रशासन के लिए नीति निर्माण में बाधा भी उत्पन्न होती है। डेटा की अनुपलब्धता से एक्सप्रेसवे पर जोखिम वाले क्षेत्रों (Black Spots) की पहचान भी मुश्किल हो जाती है।
युवाओं पर खतरा अधिक
रिपोर्टों के अनुसार, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर जो हादसे होते हैं, उनमें सबसे अधिक संख्या 18 से 35 वर्ष की उम्र के युवाओं की होती है। ये अक्सर तेज बाइक या कार से सफर कर रहे होते हैं और रात के समय या छुट्टी के दिन हादसों के शिकार बनते हैं।
प्रशासन को मिले दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट रोड सेफ्टी कमेटी ने इस गंभीर मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार और संबंधित एजेंसियों को दिशा-निर्देश जारी करने की बात कही है। साथ ही उम्मीद जताई गई है कि आने वाले समय में सड़क हादसों में कमी लाने के लिए बेहतर कदम उठाए जाएंगे।