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सपा में बगावत पर selective कार्रवाई से उठे सवाल, केवल तीन विधायकों की निष्कासन पर घमासान

सपा में बगावत पर selective कार्रवाई से उठे सवाल, केवल तीन विधायकों की निष्कासन पर घमासान

उत्तर प्रदेश की राजनीति में सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) ने बड़ा कदम उठाते हुए तीन बागी विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इन विधायकों पर हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों और क्रॉस वोटिंग का आरोप था। लेकिन इस कार्रवाई के बाद खुद पार्टी के भीतर और राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि कुल सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, एक विधायक अनुपस्थित रहीं और एक का वोट विवादों में रहा—फिर भी सजा केवल तीन को ही क्यों?

किन विधायकों पर गिरी गाज?

सोमवार को समाजवादी पार्टी ने जिन तीन विधायकों को पार्टी से निकाला, उनके नाम हैं:

  • (1) रामपुर से विधायक मोहम्मद अली खान जौहर

  • (2) हरदोई से विधायक रामपाल वर्मा

  • (3) मिर्जापुर से विधायक विजय मिश्रा

इन तीनों पर पार्टी की नीतियों के खिलाफ जाकर भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में वोट देने का आरोप है। पार्टी हाईकमान ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया।

बाकी बागियों पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई?

हालांकि, राज्यसभा चुनाव के दौरान कुल सात सपा विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, जबकि एक विधायक मतदान में अनुपस्थित रहीं। इसके अतिरिक्त, बरेली सदर सीट से सपा विधायक शहजिल इस्लाम का वोट अमान्य करार दिया गया था, जिससे पार्टी के आंकड़े और रणनीति को झटका लगा। इस स्थिति में सवाल यह उठ रहा है कि केवल तीन विधायकों पर ही कार्रवाई क्यों, बाकी चार पर चुप्पी क्यों?

राजनीतिक गलियारों में उठे सवाल

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह 'सेलेक्टिव एक्शन' पार्टी की अंदरूनी खींचतान और जातिगत समीकरणों से भी जुड़ा हो सकता है। कुछ नेताओं का मानना है कि सपा नेतृत्व अभी शेष बागी विधायकों पर इसलिए कार्रवाई नहीं कर रहा है क्योंकि उनके कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी को आगामी चुनावों में नुकसान हो सकता है।

पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अभी कुछ विधायकों को "फाइनल चेतावनी" दी गई है और उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है। यदि दोबारा ऐसी हरकतें होती हैं, तो उन पर भी कठोर कार्रवाई संभव है।

क्या बोले शहजिल इस्लाम?

बरेली के सपा विधायक शहजिल इस्लाम, जिनका वोट राज्यसभा चुनाव में रिजेक्ट हुआ, ने भी खुद को लेकर उठे सवालों पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है। पार्टी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने उनके खिलाफ भी जांच की मांग की है, यह जानने के लिए कि उनका वोट किन कारणों से अमान्य हुआ।

पार्टी की साख पर सवाल

इस पूरी घटना ने सपा की आंतरिक अनुशासन प्रणाली और राजनीतिक पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब पार्टी खुद पारदर्शिता और लोकतंत्र की बात करती है, तो ऐसी आधी-अधूरी कार्रवाई से जनता और कार्यकर्ताओं में भ्रम और असंतोष दोनों ही बढ़ते हैं।

अब देखना यह होगा कि समाजवादी पार्टी आने वाले दिनों में बाकी बागी विधायकों के खिलाफ भी कोई ठोस कदम उठाती है या फिर यह मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। फिलहाल, पार्टी के भीतर "एक के लिए सख्ती, दूसरे के लिए नरमी" की नीति पर सवाल तेज हो गए हैं।

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