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सरोजनीनगर में फर्जी पट्टों पर चला एसडीएम कोर्ट का डंडा, 10 करोड़ की जमीन ग्राम समाज के नाम

सरोजनीनगर में फर्जी पट्टों पर चला एसडीएम कोर्ट का डंडा, 10 करोड़ की जमीन ग्राम समाज के नाम

जमीन घोटालों पर लगाम कसते हुए सरोजनीनगर तहसील के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फर्जी तरीके से किए गए सभी जमीन के पट्टों को निरस्त करते हुए छह बीघा जमीन को फिर से ग्राम समाज के नाम दर्ज करने का आदेश दिया है। यह भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग से सटी हुई है और वर्तमान में इसकी बाजार कीमत 10 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सरोजनीनगर क्षेत्र की उक्त भूमि पर पिछले कुछ वर्षों में शातिर तत्वों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से पट्टे कर लिए गए थे। मामले की शिकायत ग्रामवासियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा तहसील प्रशासन से की गई थी। जांच के दौरान अधिकारियों को दस्तावेजों में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि पट्टे अवैध और नियमविरुद्ध तरीके से किए गए थे।

एसडीएम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राजस्व विभाग द्वारा प्रस्तुत रिकॉर्ड, गवाहों के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर यह साबित हो गया कि जमीन का हस्तांतरण नियमों के विरुद्ध किया गया था। कोर्ट ने सभी फर्जी पट्टों को रद्द करते हुए पूरी छह बीघा भूमि को ग्राम समाज की संपत्ति घोषित कर दिया।

प्रशासन की सतर्कता से बची करोड़ों की सरकारी जमीन

यह जमीन सरोजनीनगर क्षेत्र में स्थित है और हाईवे से सटी होने के कारण इसकी वाणिज्यिक महत्ता काफी अधिक है। भूमाफियाओं की नजर लंबे समय से इस बहुमूल्य भूमि पर थी। यदि समय रहते प्रशासन हस्तक्षेप न करता, तो यह कीमती सरकारी जमीन स्थायी रूप से निजी हाथों में चली जाती। अब ग्राम समाज के नाम पर दर्ज होने के बाद इस भूमि के विकास में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी।

एसडीएम का सख्त रुख

एसडीएम ने स्पष्ट किया कि किसी भी हाल में सरकारी या ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा करने या फर्जीवाड़ा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे मामलों में प्रशासन लगातार निगरानी कर रहा है और जांच के बाद दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

जनहित में बड़ा फैसला

स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे न सिर्फ भूमाफियाओं के हौसले पस्त होंगे, बल्कि गांव की सार्वजनिक संपत्तियों की रक्षा भी होगी। साथ ही, यह निर्णय अन्य ऐसे मामलों के लिए भी नजीर बनेगा जहाँ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन हड़पने की कोशिश की जाती है।

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