मालेगांव ब्लास्ट केस पर NIA कोर्ट के फैसले को लेकर अखिलेश यादव का बड़ा बयान, मीडिया कवरेज पर भी उठाए सवाल
मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं लगातार सामने आ रही हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का एक संकेतपूर्ण और तीखा बयान सामने आया है। उन्होंने फैसले को लेकर सीधे प्रतिक्रिया न देते हुए सवाल उठाया कि क्या यह कोई "खबर दबाने के लिए खबर" है।
संसद परिसर में पत्रकारों से बोले अखिलेश यादव
दिल्ली में संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान जब अखिलेश यादव से मालेगांव ब्लास्ट केस के फैसले पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा:
"जो बात आप समझ रहे हो वही मैं समझ रहा हूं। जो आप कहना नहीं चाहते, वो मैं नहीं कह रहा। कहीं ऐसा तो नहीं कि खबरें दबाने के लिए खबर आ रही हो?"
अखिलेश के इस बयान को राजनीतिक गलियारों में एक गंभीर संकेत के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने न तो कोर्ट के फैसले की सीधी आलोचना की, न ही उसका समर्थन किया, लेकिन अपने बयान के माध्यम से यह जरूर जताया कि फैसले के समय और उद्देश्य को लेकर सवाल खड़े हो सकते हैं।
क्या है मालेगांव ब्लास्ट केस?
मालेगांव ब्लास्ट केस 2008 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव शहर में हुए विस्फोटों से जुड़ा मामला है, जिसमें कई लोगों की जान गई थी और कई घायल हुए थे। इस मामले में हिंदू चरमपंथ से जुड़े कुछ आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा था। वर्षों की सुनवाई के बाद एनआईए कोर्ट ने हाल ही में इस मामले में कुछ आरोपियों को बरी कर दिया है, जिससे देशभर में बहस छिड़ गई है।
मीडिया और सियासत पर इशारा
अखिलेश यादव का बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि वह मानते हैं कि देश में कुछ अहम मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कुछ खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। उन्होंने मीडिया की भूमिका और सरकार की रणनीति दोनों पर सवालिया निशान लगाए हैं।
विपक्षी नेताओं की तीखी प्रतिक्रियाएं
अखिलेश यादव अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जिन्होंने इस पर प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस, टीएमसी, शिवसेना (यूबीटी) समेत कई विपक्षी दलों ने फैसले और सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि न्याय की प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिशें हो रही हैं और इससे संविधानिक संस्थाओं की साख पर असर पड़ रहा है।

