वर्षा ऋतु में आयातित अंगूर की बिक्री बढ़ी, दिल्ली से मंगाए जा रहे लाल-हरे अंगूर
वर्षा ऋतु का आगमन होते ही फल बाजारों में अंगूर की दुकानों पर रंग-बिरंगे और चमकदार अंगूर ग्राहकों का ध्यान खींच रहे हैं। इस मौसम में दुकानदार विशेष रूप से दिल्ली से लाल और हरे अंगूर मंगाकर बिक्री कर रहे हैं। फल विक्रेताओं का कहना है कि इस समय बाजार में बिक रहे अधिकांश अंगूर अमेरिका और चीन से आयातित होते हैं, जिसके कारण इनकी कीमत देसी अंगूर की तुलना में अधिक रहती है।
दुकानदारों के अनुसार, आयातित अंगूर देसी अंगूर की तुलना में बड़े, चमकदार और आकर्षक होते हैं। उनका स्वाद भी अनोखा और मीठा होता है, जो ग्राहकों को आकर्षित करता है। इस वजह से उच्च कीमत के बावजूद लोग इन्हें खरीदने में पीछे नहीं हट रहे हैं। दुकानदार बताते हैं कि इस समय प्रति किलो आयातित अंगूर की कीमत 400 से 600 रुपये तक हो सकती है, लेकिन गुणवत्ता और आकार के कारण यह ग्राहकों को संतोषजनक लगती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वर्षा ऋतु में स्थानीय अंगूर की उपलब्धता कम हो जाती है। ऐसे में बाजार की मांग को पूरा करने के लिए दुकानदार आयातित अंगूर लाते हैं। ये अंगूर न केवल आकार में बड़े होते हैं, बल्कि टिकाऊ भी होते हैं, जिससे उन्हें लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है और बिक्री में कोई रुकावट नहीं आती।
ग्राहकों की प्रतिक्रिया भी आयातित अंगूर के प्रति सकारात्मक रही है। कई लोग कहते हैं कि वर्षा ऋतु में बाजार में मिलने वाले ये चमकदार और बड़े अंगूर स्वाद और ताजगी में बेहतरीन होते हैं। खासकर बच्चे और बुजुर्ग इन अंगूरों को खाने में ज्यादा पसंद कर रहे हैं। फल विक्रेता बताते हैं कि त्योहारों और शादी समारोहों के दौरान इन आयातित अंगूरों की मांग और बढ़ जाती है।
दुकानदार भविष्य में यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले हफ्तों में वर्षा ऋतु और त्योहारों की वजह से आयातित अंगूर की बिक्री में और इजाफा होगा। उन्होंने बताया कि नई किस्मों के अंगूर मंगाने की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि ग्राहकों को और अधिक विकल्प मिल सकें और बाजार में विविधता बनी रहे।
संक्षेप में कहा जाए तो, वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही बाजार में आयातित अंगूर की बिक्री में वृद्धि हुई है। दिल्ली से मंगाए गए अमेरिका और चीन के लाल-हरे अंगूर अपने बड़े आकार, चमक और स्वाद के कारण ग्राहकों को लुभा रहे हैं। भले ही इनकी कीमत अधिक हो, लेकिन गुणवत्ता और ताजगी के कारण लोग इन्हें खरीदने में रुचि दिखा रहे हैं। इस प्रवृत्ति से यह स्पष्ट है कि आयातित फल अब वर्षा ऋतु में स्थानीय बाजारों में प्रमुख स्थान बनाने लगे हैं।

