सोना तस्करी का बदला तरीका, ट्रेनों के बाद अब अवैध बसों और ट्रेवलर से हो रही है तस्करी, एजेंसियां अलर्ट

भारत में सोना तस्करी का नेटवर्क जितना गहरा है, उतना ही चतुराई से बदलता हुआ उसका तरीका भी। पहले जहां बिहार के रेल रूट पर तस्करी धड़ल्ले से हो रही थी, वहीं अब सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती के बाद तस्कर उत्तर प्रदेश से लगती सीमा से होकर तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। वे अवैध बसों और ट्रेवलर वाहनों को नए माध्यम के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।
बट्टा हुआ शून्य, क्या तस्करी रुक गई?
सोना तस्करी के काले बाजार में एक पुराना फार्मूला है – जब तस्करी बढ़ती है, तो मनी एक्सचेंज में बट्टा (कमीशन) बढ़ता है। और जब तस्करी घटती है, तो बट्टा अपने आप कम हो जाता है। फिलहाल बट्टा शून्य है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तस्करी रुक गई है। जानकारों की मानें तो यह एक 'आंखों में धूल झोंकने वाली रणनीति' है।
तरीका बदला, नेटवर्क नहीं
डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) द्वारा बिहार में की गई लगातार छापेमारी और गिरफ्तारी के बाद तस्कर अब सड़क मार्ग से यूपी सीमा के रास्ते तस्करी कर रहे हैं। इस बार उनकी नजर में छोटे कस्बों के ट्रांजिट प्वाइंट्स, प्राइवेट ट्रैवलर बसें, और बिना रजिस्ट्रेशन वाले टूर ऑपरेटर हैं। इससे वे जांच एजेंसियों की निगाहों से बचकर तस्करी को अंजाम देने में सफल हो रहे हैं।
एजेंसियों की चिंता बढ़ी
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार,
“रेल रूट पर सख्ती बढ़ते ही तस्करों ने अपना मोड ऑफ ट्रांसपोर्ट बदल लिया है। अब वे बस, ट्रेवलर, प्राइवेट टैक्सियों के जरिए छोटे-छोटे बैचों में सोना एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचा रहे हैं। खासकर उत्तर प्रदेश-बिहार सीमा पर अवैध आवागमन में तेजी देखी जा रही है।”
अंतरराष्ट्रीय गिरोह की संलिप्तता
बताया जा रहा है कि यह तस्करी सिर्फ स्थानीय नहीं, बल्कि बांग्लादेश और म्यांमार से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा है। इन गिरोहों के पास सोने को छोटे आकारों में छिपाने की तकनीक, फर्जी आईडी, और मनी लॉन्ड्रिंग के रूट पहले से तैयार हैं।
सीमाई जिलों पर बढ़ी नजर
गाजीपुर, बलिया, देवरिया, कुशीनगर, और बहराइच जैसे यूपी के सीमाई जिलों में खुफिया नेटवर्क को सक्रिय किया गया है। पुलिस, एसटीएफ और सीमा शुल्क विभाग की संयुक्त टीमें वाहनों की चेकिंग, संदिग्ध यात्रियों की निगरानी और टूर ऑपरेटरों की जांच में जुट गई हैं।