यूपीएसएसएससी परीक्षा में पूछा गया बिजली निजीकरण से जुड़ा सवाल, चर्चा में आया प्रदेश सरकार का संभावित फैसला

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) द्वारा आयोजित जूनियर असिस्टेंट पद की लिखित परीक्षा में इस बार एक सवाल ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह सवाल बिजली क्षेत्र के निजीकरण से जुड़ा था, जो प्रदेश में वर्तमान आर्थिक और प्रशासनिक नीतियों की झलक भी देता है।
परीक्षा में पूछा गया सवाल था:
"बिजली घाटे और बुनियादी ढांचे के मुद्दों को हल करने के लिए उत्तर प्रदेश में किन दो बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण पर विचार किया जा रहा है?"
यह सवाल न केवल अभ्यर्थियों के लिए चौंकाने वाला था, बल्कि इसने प्रदेश में बिजली क्षेत्र में चल रहे संभावित बदलावों की ओर भी संकेत किया। हालांकि परीक्षा में इस सवाल का उत्तर विकल्पों के साथ दिया गया था, लेकिन यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए निजीकरण की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है।
संभावित निजीकरण की दिशा में कदम:
प्रदेश सरकार की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, बिजली विभाग लंबे समय से घाटे में चल रही कुछ वितरण कंपनियों के निजीकरण पर मंथन कर रहा है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL) और कानपुर विद्युत आपूर्ति कंपनी लिमिटेड (KESCO) जैसी कंपनियों के नाम इस चर्चा में सबसे आगे हैं।
इन कंपनियों में बिजली चोरी, तकनीकी नुकसान, राजस्व वसूली में गिरावट और जर्जर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी समस्याएं वर्षों से बनी हुई हैं। निजीकरण के जरिए सरकार इन समस्याओं को दूर कर बिजली आपूर्ति को अधिक प्रभावी और उपभोक्ता-हितैषी बनाने की योजना पर काम कर रही है।
परीक्षा में समसामयिक सवालों की बढ़ती भूमिका:
यूपीएसएसएससी की परीक्षाओं में अब परंपरागत सामान्य ज्ञान के साथ-साथ समसामयिक नीतिगत विषयों से भी प्रश्न पूछे जा रहे हैं। यह बदलाव उम्मीदवारों की सामाजिक, प्रशासनिक और नीतिगत समझ को परखने के उद्देश्य से किया गया है।
परीक्षा देने वाले कई अभ्यर्थियों ने सोशल मीडिया पर इस सवाल को शेयर किया और बिजली विभाग के निजीकरण से जुड़े संभावित असर पर भी चर्चा शुरू हो गई।