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चंद्रशेखर आजाद को सर्किट हाउस में रोके जाने पर करछना में बवाल, आक्रोशित समर्थकों ने किया हंगामा, पुलिस टीम पर हमला

चंद्रशेखर आजाद को सर्किट हाउस में रोके जाने पर करछना में बवाल, आक्रोशित समर्थकों ने किया हंगामा, पुलिस टीम पर हमला

आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को रविवार को प्रयागराज सर्किट हाउस में रोके जाने की घटना ने बड़ा राजनीतिक मोड़ ले लिया। इससे नाराज पार्टी कार्यकर्ताओं ने करछना क्षेत्र में जमकर बवाल किया, सड़कों पर उतर आए और जाम लगा दिया। हालात उस वक्त बेकाबू हो गए जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया।

क्या है पूरा मामला?
चंद्रशेखर आजाद रविवार को प्रयागराज दौरे पर थे और उन्हें सर्किट हाउस में कुछ समय के लिए रोका गया। इस कार्रवाई को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया। उनका कहना था कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है और सांसद को बिना कारण रोका जाना अलोकतांत्रिक है। इस विरोध के चलते पार्टी कार्यकर्ता करछना क्षेत्र में सड़कों पर उतर आए और जोरदार प्रदर्शन शुरू कर दिया।

सड़क पर लगा जाम, पुलिस पर पथराव
प्रदर्शनकारियों ने करछना क्षेत्र में कई जगह सड़क जाम कर दी, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। जब पुलिस मौके पर प्रदर्शनकारियों को समझाने और जाम हटाने पहुंची, तो भीड़ उग्र हो गई और पुलिस टीम पर पथराव कर दिया। इस हमले में कुछ पुलिसकर्मियों के घायल होने की भी सूचना है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

पुलिस ने की मोर्चा संभालने की कोशिश
हालात को काबू में लाने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। बवाल को देखते हुए मौके पर वरिष्ठ अधिकारी भी पहुंचे और स्थिति को शांत करने की कोशिश की। पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपील की, लेकिन भीड़ देर तक डटी रही।

राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज़
इस घटनाक्रम के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। आजाद समाज पार्टी के नेताओं ने प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विरोध की आवाज दबाना चाहती है। वहीं, प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा कारणों से सांसद को कुछ देर के लिए रोका गया था, इसमें कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी।

स्थिति तनावपूर्ण, पुलिस अलर्ट पर
करछना क्षेत्र में फिलहाल तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। पुलिस लगातार गश्त कर रही है और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैयार है। मामले में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है और CCTV फुटेज के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।

यह घटना आगामी दिनों में राजनीतिक गर्माहट और प्रशासनिक सख्ती दोनों का संकेत देती है। साथ ही यह सवाल भी उठाती है कि जनप्रतिनिधियों और उनके समर्थकों के बीच संवाद की कमी लोकतंत्र में किस कदर उग्र रूप ले सकती है।

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