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परिषदीय विद्यालयों के विलय पर विरोध, गोरखपुर में एक स्कूल का विलय हुआ

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) की प्रक्रिया को लेकर विवाद छिड़ गया है। जहां सरकार इसे एक आवश्यक कदम मानते हुए शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में यह कदम उठा रही है, वहीं शिक्षक संगठनों और प्रतियोगी छात्रों ने इस कदम का विरोध करना शुरू कर दिया है। गोरखपुर में बुधवार को एक विद्यालय के विलय का आदेश जारी किया गया, जिसके बाद विरोध और तेज हो गया है।

गोरखपुर में विद्यालय का विलय

गोरखपुर जिले में बुधवार को एक विद्यालय का विलय करने का आदेश जारी कर दिया गया, जिसे लेकर विवाद बढ़ गया है। सरकार का कहना है कि इससे शिक्षण व्यवस्था में सुधार होगा और विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं का बेहतर वितरण संभव होगा। हालांकि, विरोध करने वाले लोग इसे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था को प्रभावित करने वाला कदम मानते हैं।

विरोध में उतरे शिक्षक और प्रतियोगी छात्र

''सेव विलेज स्कूल'' नाम से एक अभियान भी सोशल मीडिया पर शुरू किया गया है। इसके तहत शिक्षक संगठनों और प्रतियोगी छात्रों ने विद्यालयों के विलय के खिलाफ अपने विरोध को प्रकट किया है। अभियान में शामिल लोगों का कहना है कि यह कदम ग्रामीण शिक्षा को नुकसान पहुंचाएगा, जिससे बच्चों को शिक्षा तक पहुंचना और भी कठिन हो जाएगा।

शिक्षकों का कहना है कि विलय के बाद विद्यालयों में अध्यापन की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और विद्यार्थियों को उचित शिक्षा नहीं मिल पाएगी। वहीं, प्रतियोगी छात्र इसे अपनी तैयारियों पर भी प्रतिकूल असर डालने वाला मानते हैं।

सरकार का पक्ष

सरकार का कहना है कि छोटे और कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को विलय करने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, साथ ही स्कूलों में संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा। इसके अलावा, कई स्कूलों के विलय से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच संसाधन वितरण को भी संतुलित किया जा सकेगा।

सरकार ने यह भी कहा कि इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बढ़ेगा और वहाँ के बच्चों को भी बेहतर शिक्षा के अवसर मिलेंगे। हालांकि, इस कदम से संबंधित कई तकनीकी पहलुओं पर सरकार की ओर से ज्यादा स्पष्टता नहीं दी गई है, जिस कारण विवादों का दौर जारी है।

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