
उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी चिंता सामने आई है। यदि राज्य के पाॅवर काॅर्पोरेशन द्वारा विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया गया संशोधित प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है, तो बिजली दरों में 40 से 45 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इस बढ़ोतरी का असर सीधे तौर पर उपभोक्ताओं के बिलों पर पड़ेगा, जिससे उन्हें भारी वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ सकता है।
बढ़ोतरी का संशोधित प्रस्ताव
इस संशोधित प्रस्ताव के अनुसार, ग्रामीण और शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए फिक्स चार्ज में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की योजना बनाई गई है। प्रस्ताव में यह कहा गया है कि:
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ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए फिक्स चार्ज 8 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ा दिया जाएगा।
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शहरी उपभोक्ताओं के लिए यह चार्ज 9 रुपये प्रति यूनिट हो सकता है।
इसके अलावा, फिक्स चार्ज के अलावा प्रति किलोवाट चार्ज, विद्युत कर और अन्य शुल्क भी जोड़े जाएंगे। इस बढ़ोतरी के बाद उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 12 से 13 रुपये तक चुकाने पड़ सकते हैं, जो मौजूदा दरों से कहीं अधिक होगा।
बढ़ी हुई दरों का असर
इस प्रस्ताव से विद्युत उपभोक्ताओं को भारी आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ेगा, खासकर उन घरों पर जहां बिजली की खपत अधिक होती है। एक ओर जहां बढ़ी हुई बिजली दरों से उपभोक्ताओं के लिए अतिरिक्त खर्च आएगा, वहीं दूसरी ओर, यह भी देखने की बात होगी कि इससे घरों में बिजली की खपत पर कितना असर पड़ता है।
विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, जहां बिजली की दरों में इस तरह की बढ़ोतरी का सीधा असर पड़ेगा, वहां के लोग पहले से ही महंगाई से जूझ रहे हैं और इस बढ़ोतरी से उनकी परेशानियों में और इजाफा हो सकता है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
इस बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर अब तक कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि विद्युत विभाग और सरकारी अधिकारियों ने इस प्रस्ताव को औचित्यपूर्ण और आवश्यक बताया है, ताकि बिजली के वितरण और उत्पादन में आने वाले घाटे को पूरा किया जा सके।
उपभोक्ताओं की चिंता
वहीं, बिजली उपभोक्ता संघों और विभिन्न नागरिक संगठनों ने इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि राज्य सरकार को इस तरह की बढ़ोतरी से पहले आम जनता को राहत देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। वे यह भी कह रहे हैं कि महंगाई के इस दौर में बिजली की बढ़ी हुई दरें आम आदमी की मुश्किलों को और बढ़ा सकती हैं।