बिहार में अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा: डॉ. भीमराव अंबेडकर समग्र सेवा अभियान का सफल प्रयास

बिहार में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के परिवारों में अपने बच्चों को शिक्षित करने की उत्सुकता साफ नजर आ रही है। इसी दिशा में राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे 'डॉ. भीमराव अंबेडकर समग्र सेवा अभियान' के तहत विशेष शिविरों का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 60 हजार दलित टोलों में बच्चों के स्कूल में दाखिले के लिए आवेदनों का त्वरित और प्रभावी निष्पादन किया गया है।
शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता
एससी-एसटी समुदायों में शिक्षा के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ रही है। परिवार अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए विद्यालयों में दाखिला कराने में अधिक सक्रियता दिखा रहे हैं। इस अभियान के तहत आयोजित शिविरों ने इस प्रक्रिया को सुगम बनाया है और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाने का काम किया है।
अभियान के तहत विशेष शिविर
'डॉ. भीमराव अंबेडकर समग्र सेवा अभियान' के अंतर्गत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष शिविर लगाए गए, जहां एससी-एसटी समुदाय के बच्चों के स्कूल में दाखिले के लिए आवेदन पत्र जमा किए गए और उनका शीघ्र निराकरण किया गया। इससे न केवल दाखिले की प्रक्रिया में तेजी आई, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित हुई।
शिक्षा विभाग की पहल
बिहार के शिक्षा विभाग ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षित कर्मियों और स्थानीय अधिकारियों को सक्रिय किया। सभी आवेदनों की जांच और दाखिले के लिए आवश्यक कार्रवाई समयबद्ध तरीके से पूरी की गई। इस पहल से दलित बच्चों के लिए शिक्षा का द्वार और व्यापक रूप से खुला है।
लाभार्थियों की प्रतिक्रिया
अभियान के तहत लाभान्वित परिवारों ने खुशी जताई है। कई माता-पिता ने कहा कि अब बच्चों को स्कूल भेजना आसान हो गया है और वे अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए आशावान हैं। यह कदम बिहार में सामाजिक न्याय और समावेशी शिक्षा के प्रति एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
राज्य सरकार की प्रतिबद्धता
सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि दलित एवं आदिवासी समुदायों के बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता है। इसके लिए आवश्यक संसाधनों, स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षित शिक्षकों की व्यवस्था भी लगातार बेहतर की जा रही है।