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आरटीई के तहत नामांकन न करने वाले निजी स्कूलों पर गिरी गाज, एनओसी रद्द और मान्यता वापसी की प्रक्रिया शुरू

आरटीई के तहत नामांकन न करने वाले निजी स्कूलों पर गिरी गाज, एनओसी रद्द और मान्यता वापसी की प्रक्रिया शुरू

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत नामांकन न करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ अब शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) की संस्तुति के बाद ऐसे स्कूलों की एनओसी रद्द करने और मान्यता प्रत्याहरण की प्रक्रिया को गति दे दी गई है। संयुक्त शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) ने इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।

शासन के निर्देशानुसार, प्रत्येक निजी विद्यालय को आरटीई एक्ट 2009 के तहत आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों को 25 प्रतिशत आरक्षण के तहत नि:शुल्क प्रवेश देना अनिवार्य है। बावजूद इसके कई निजी विद्यालय लगातार इस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसे स्कूलों को अब विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

बीएसए कार्यालय द्वारा की गई जांच में पाया गया कि कई मान्यता प्राप्त स्कूलों ने निर्धारित सीटों के अनुसार आरटीई के तहत एक भी बच्चे का नामांकन नहीं किया है। बार-बार चेतावनी और निर्देश दिए जाने के बावजूद इन स्कूलों ने न तो नामांकन की प्रक्रिया शुरू की और न ही विभाग को संतोषजनक जवाब दिया।

बीएसए ने ऐसे स्कूलों की सूची बनाकर संबंधित स्कूलों की एनओसी (No Objection Certificate) रद्द करने और उनकी मान्यता को समाप्त करने की संस्तुति उच्चाधिकारियों को भेजी थी। अब संयुक्त शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) स्तर पर कार्रवाई की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। जल्द ही संबंधित स्कूलों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया जाएगा।

शिक्षा विभाग का यह कदम साफ संकेत देता है कि अब आरटीई नियमों का पालन न करने वाले संस्थानों को बख्शा नहीं जाएगा। इसके तहत पहले चरण में जिन स्कूलों की पहचान की गई है, उनके खिलाफ एनओसी रद्द करने और मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद अन्य जिलों में भी इसी प्रकार की सख्ती बरती जाएगी।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन स्कूलों को समाज के वंचित वर्गों के बच्चों की शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए मान्यता मिली है, अगर वे इस सामाजिक जिम्मेदारी से भागते हैं, तो उनका संचालन अनुचित है और उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच, कुछ निजी स्कूल प्रबंधनों ने विभागीय कदम पर असहमति जताते हुए कहा है कि उन्हें आर्थिक व प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अधिकारियों का स्पष्ट कहना है कि आरटीई कानून की अवहेलना करने का कोई भी तर्क स्वीकार्य नहीं होगा।

फिलहाल शिक्षा विभाग की इस सख्ती के बाद अन्य निजी स्कूलों में भी हलचल तेज हो गई है। संभावना है कि अब वे जल्द ही आरटीई के तहत नामांकन की प्रक्रिया को अमल में लाने के लिए आगे आएंगे।

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