कानपुर DM-CMO विवाद में गरमाई सियासत, भाजपा की अंतर्कलह के बाद अब विपक्ष ने साधा निशाना, सपा विधायक ने कही ये बात

डीएम-सीएमओ प्रकरण में अब विपक्ष भी मैदान में उतर आया है। पक्ष और विपक्ष को पत्र लिखने वाले विधानसभा अध्यक्ष महाना भाजपा विधायकों की आपसी लड़ाई को लेकर तंज कस रहे हैं। खुद को तमाशबीन बता रहे स्थानीय सपा विधायकों ने इसे भाजपा की अंदरूनी लड़ाई बताया है। 18 जनवरी को जब जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने जिले का कामकाज संभाला तो उन्होंने तत्काल सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का औचक निरीक्षण किया और खामियां पाईं। सीएमओ कार्यालय, ट्रॉमा सेंटर आदि से 100 से अधिक डॉक्टर, कर्मचारी नदारद मिले। सीएमओ ने चंद दिनों में ही जिला जेल के डॉक्टरों के कई तबादले किए और अंत में उन्हें वापस मूल पद पर ला दिया।
कई बार कहने के बाद भी सीएमओ ने कोई सुधार नहीं किया। इसके बाद जिलाधिकारी ने सीएमओ की सुस्त कार्यशैली व पर्यवेक्षण, कार्यों में शिथिलता, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में नियुक्तियों में गड़बड़ी करने, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी डा. वंदना सिंह द्वारा मनमाने तरीके से शासन द्वारा नियुक्त लेखाधिकारी को वित्तीय परीक्षण व पदीय दायित्वों से हटाकर उनके स्थान पर गैर वित्तीय सेवा के अधिकारी को नामित करने, मनमाने तरीके से चिकित्सकों का स्थानांतरण करने तथा सीएमओ द्वारा चिकित्सकों व कर्मचारियों के मानसिक व आर्थिक उत्पीड़न को बढ़ावा देने के संबंध में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को पत्र भेजा है। डीएम ने शासन को पत्र लिखकर सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति भी की।
शासन से जवाब मांगा गया। यहीं से बात बिगड़ गई। इसके बाद सीएमओ की ओर से कई आडियो व वीडियो जारी किए गए। इनके संबंध में डीएम के सवाल पर सीएमओ ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि यह सब एआई के माध्यम से प्रचलित है। नाराज डीएम ने पिछले दिनों सीएम डैश बोर्ड की बैठक से उन्हें बाहर निकाल दिया था। इस बीच विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना का उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को लिखा पत्र, एमएलसी अरुण पाठक व विधायक सुरेंद्र मैथानी के पत्र प्रकाश में आए। रात में विधायक अभिजीत सिंह सांगा व महेश त्रिवेदी ने डीएम के पक्ष में मुख्यमंत्री योगी को पत्र भेजा तो हास्य कलाकार अन्नू अवस्थी ने उनकी तारीफ की।
नगर ग्रामीण कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष संदीप शुक्ला के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन मंडलायुक्त के. विजयेंद्र पांडियन को सौंपा। इसमें डीएम-सीएमओ प्रकरण में भाजपाइयों पर कटाक्ष किया। कहा कि इस प्रकरण से आम जनता के बीच प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है। स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, ठेकों पर कब्जे व दबाव की आशंका है। सीएमओ के समर्थन पत्र की भाषा कॉपी पेस्ट जैसी है। राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन में संविदा कर्मियों की नियुक्तियों की जांच की मांग की। एआईसीसी सदस्य नरेश चंद्र त्रिपाठी, सतीश दीक्षित, इखलाक अहमद, अभिषेक पाल मौजूद रहे। मंगलवार को पूर्व विधायक नीरज चतुर्वेदी ने बिना नाम लिए विधानसभा अध्यक्ष महाना पर निशाना साधा। कहा कि ऊपरी विधानसभा में शीर्ष पर बैठे प्रभावशाली व्यक्ति का डीएम-सीएमओ विवाद में पड़ना परेशानी की बात है।
वे मुख्यमंत्री से मिलकर इसका समाधान कर सकते हैं। सीएमओ की जनविरोधी कार्यशैली व आचरण की जांच की मांग की। इसी तरह भाजपा नेता शैलेंद्र दीक्षित ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले का संज्ञान लेकर समाधान करने का अनुरोध किया है। अब इन लेटर बमों से भाजपा की अंतर्कलह सतह पर आ गई है। डीएम के साथ खड़ी जनता, आज हो सकती है कार्रवाई डीएम-सीएमओ प्रकरण में जनता खुलकर जिलाधिकारी के पक्ष में खड़ी है। इंटरनेट मीडिया पर लगभग हर कोई डीएम के पक्ष में लिख रहा है। नेताओं के प्रति गुस्सा फूट पड़ा है। सीएमओ के बहाने भाजपा रार की चर्चा आमजन तक पहुंचने से भाजपा को दूरगामी नुकसान की आशंका बढ़ गई है। वहीं मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचने से बुधवार तक कार्रवाई कर मामले का निस्तारण हो सकता है। डीएम सड़क पर उतरकर भ्रष्टाचारियों पर नकेल कस रहे हैं। इसलिए सभी परेशान हैं। सीएमओ के भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय कमेटी से जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि कोई भी अधिकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी पर अनुशासनहीनता करने से पहले सौ बार सोचे।
सपा का इस मामले से कोई सरोकार नहीं है, लेकिन पार्टी जनहित के लिए प्रतिबद्ध है। डीएम द्वारा जनहित में स्वास्थ्य विभाग की ढुलमुल कार्रवाई के लिए सीएमओ पर कार्रवाई करना गलत नहीं है। भाजपा सरकार में चिकित्सा व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। उर्सुला, एलएलआर समेत सभी अस्पताल बदहाल हैं। डीएम कम से कम अच्छा काम तो कर रहे हैं।
सीएमओ की ओर से हाउसकीपिंग फर्म और फार्मा कंपनी को काम आवंटित करने में लापरवाही बरतने के संबंध में दो पत्र प्रसारित हो रहे हैं। पहले में एल-1 फर्म की अनदेखी कर एल-2 फर्म को वरीयता देने और दूसरे में फार्म कंपनी को उदार बनाने का मामला है। हालांकि दैनिक जागरण इसकी पुष्टि नहीं करता है।