गिहार बस्ती में मातम के बीच पुलिस की बर्बरता, शव लेकर लौट रहे अर्जुन को पीटा, बच्चों तक को नहीं छोड़ा

झांसी जिले की गिहार बस्ती में इन दिनों मातम पसरा हुआ है। हाल ही में हुए दर्दनाक सड़क हादसे में तीन घरों के चिराग बुझ गए। पूरे इलाके में गम और सन्नाटा छाया हुआ है। लेकिन इस त्रासदी के बीच जो सबसे पीड़ादायक और स्तब्ध कर देने वाली बात सामने आई है, वह है—पुलिस की कथित बर्बरता। एक ओर जहां परिवारजन अपनों को अंतिम विदाई दे रहे थे, वहीं दूसरी ओर पुलिस लाठी के दम पर अपना 'प्रशासनिक नियंत्रण' जताने में जुटी थी।
घटना से जुड़े चश्मदीदों के अनुसार, गिहार बस्ती का निवासी अर्जुन उस समय शव लेकर वापस लौट रहा था, जब कुछ लोगों से कहासुनी हो गई। स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई थी कि पुलिस मौके पर पहुंच गई और बिना किसी जांच-पड़ताल के लाठीचार्ज शुरू कर दिया। अर्जुन ने बताया कि उसने पुलिस से कई बार कहा कि वह शव लेकर लौट रहा है, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई। पुलिसकर्मी उसे घसीटते हुए ले गए और नाले के पास तक मारते रहे। वहां वह बेहोश हो गया, लेकिन पिटाई तब भी नहीं रुकी।
अर्जुन अकेला नहीं था जिसे पुलिस की मार झेलनी पड़ी। स्थानीय लोगों के मुताबिक, पुलिस ने वहां मौजूद छोटे बच्चों तक को नहीं बख्शा। जिन घरों के लोग पहले से हादसे में अपनों को खो चुके थे, अब वे पुलिसिया लाठी के कहर से भी जूझ रहे हैं। इस दोहरी त्रासदी ने बस्ती के लोगों को गहरे आघात में डाल दिया है।
गिहार बस्ती के निवासी बेहद आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि इस संवेदनशील समय में प्रशासन को सहानुभूति और सहयोग की जरूरत थी, लेकिन यहां तो लाठी, डर और अपमान का जवाब मिला। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि घटना की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
वहीं, पुलिस प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं और उच्च अधिकारी पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
यह घटना एक बार फिर बताती है कि जब दर्द और दुख पहले से ही पीड़ितों को घेरे होता है, तो प्रशासन की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वह संवेदनशीलता के साथ काम करे। लेकिन जब पुलिस का व्यवहार ही हिंसात्मक और असंवेदनशील हो जाए, तो न्याय की उम्मीद भी धुंधली पड़ने लगती है।
गिहार बस्ती के लोगों के दिलों में न केवल अपने खोए हुए परिजनों का दर्द है, बल्कि एक ऐसा घाव भी है जिसे उन्होंने कभी सोचा नहीं था—पुलिस की लाठी से मिला अपमान और अन्याय।