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तबादले के बाद भी पंचायत सचिवों ने किए 65 लाख रुपये के भुगतान, डोंगल अनपंजीकृत करना भूला विभाग

 तबादले के बाद भी पंचायत सचिवों ने किए 65 लाख रुपये के भुगतान, डोंगल अनपंजीकृत करना भूला विभाग

पंचायत व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की बात करने वाले पंचायती राज विभाग की लापरवाही एक बार फिर उजागर हो गई है। कानपुर की ग्राम पंचायतों में करीब 10 वर्षों से तैनात कई सचिवों के स्थानांतरण किए जाने के बावजूद उन्होंने तबादले के तीन दिन बाद तक अपने पुराने डोंगल (डिजिटल हस्ताक्षर उपकरण) से करीब 65 लाख रुपये के भुगतान कर दिए। इस पूरे मामले ने ग्राम पंचायतों में वित्तीय लेन-देन की निगरानी और नियंत्रण व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

तबादले के बाद भी चालू रहे डिजिटल अधिकार

जानकारी के मुताबिक, हाल ही में कई ग्राम पंचायत सचिवों का स्थानांतरण किया गया था। नियमों के अनुसार, जैसे ही सचिव का तबादला होता है, संबंधित अधिकारी यानी जिला पंचायती राज अधिकारी (DPRO) को उस सचिव का डोंगल तत्काल प्रभाव से अनपंजीकृत (डिएक्टिवेट) करना होता है, ताकि वह पूर्व ग्राम पंचायत में कोई वित्तीय प्रक्रिया न कर सके।

लेकिन पंचायती राज विभाग की लापरवाही के चलते ऐसा नहीं किया गया। नतीजा यह हुआ कि सचिवों ने तबादले के बाद भी अपने पुराने डोंगल से बिलों का भुगतान, निकासी आदेश और अन्य वित्तीय कार्य संपन्न कर दिए।

₹65 लाख का हुआ भुगतान, जांच में खुलासा

पंचायतों से जुड़े ऑनलाइन भुगतान पोर्टल के डेटा की समीक्षा में सामने आया कि सचिवों ने स्थानांतरण के बाद भी करीब ₹65 लाख का भुगतान किया। इनमें से कई भुगतान ऐसे भी हैं, जिन पर भ्रष्टाचार या अनियमितता की आशंका जताई जा रही है। यह भी आशंका है कि कुछ मामलों में फर्जी बिल लगाकर भुगतान किए गए हों।

डीपीआरओ की जिम्मेदारी तय

विशेषज्ञों और विभागीय नियमों के अनुसार, DPRO को सचिव का ट्रांसफर होते ही उसका डोंगल तत्काल निष्क्रिय करना होता है, ताकि वह अपनी पूर्व ग्राम पंचायत के किसी भी वित्तीय कार्य में हस्तक्षेप न कर सके। लेकिन यहां एक भी सचिव का डोंगल अनपंजीकृत नहीं किया गया, जो दर्शाता है कि या तो जानबूझकर यह प्रक्रिया रोकी गई या प्रशासनिक लापरवाही बरती गई।

जांच के आदेश, जिम्मेदारों पर हो सकती है कार्रवाई

मामले के तूल पकड़ने के बाद पंचायती राज विभाग ने आंतरिक जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। संबंधित पंचायत सचिवों से जवाब मांगा गया है और भुगतान से जुड़े दस्तावेजों की वित्तीय ऑडिट टीम द्वारा जांच कराई जाएगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार, दोषी पाए जाने पर सचिवों के खिलाफ निलंबन, रिकवरी और एफआईआर तक की कार्रवाई संभव है।

पारदर्शिता पर उठे सवाल

यह पूरा मामला पंचायत व्यवस्था की डिजिटल प्रणाली और उसके निगरानी तंत्र की विफलता को उजागर करता है। डिजिटल भुगतान प्रणाली का उद्देश्य था पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक, लेकिन डोंगल सिस्टम के दुरुपयोग ने उसी पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

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