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‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ पोस्ट मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की, कहा– अदालतों की सहनशीलता बन रही बढ़ती देशविरोधी गतिविधियों का कारण

‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ पोस्ट मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की, कहा– अदालतों की सहनशीलता बन रही बढ़ती देशविरोधी गतिविधियों का कारण

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ जैसे देशविरोधी नारे वाले फेसबुक पोस्ट को साझा करने के आरोपी अंसार अहमद सिद्दीकी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह जमानत योग्य अपराध नहीं है और इस प्रकार की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के प्रति अदालतों की बढ़ती सहनशीलता ही ऐसे मामलों की संख्या में इजाफा कर रही है।

मामले में अंसार अहमद सिद्दीकी पर आरोप है कि उसने फेसबुक पर 'पाकिस्तान जिंदाबाद' लिखी एक पोस्ट साझा की थी, जिसे सार्वजनिक रूप से देखा गया और कई लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और देशद्रोह सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।

कोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा कि, “इस प्रकार की पोस्ट न केवल देश की एकता और अखंडता के खिलाफ हैं, बल्कि समाज में वैमनस्य और भ्रम फैलाने का काम करती हैं। अदालतें यदि इन पर सख्त कार्रवाई नहीं करेंगी, तो ऐसे मामलों में और तेजी आएगी।”

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत में दलील दी कि अंसार ने पोस्ट को सिर्फ साझा किया था, खुद से नहीं लिखा और उसका इरादा किसी को भड़काने का नहीं था। हालांकि अदालत ने इन दलीलों को अस्वीकार करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर इस तरह की पोस्ट शेयर करना भी उतना ही गंभीर अपराध है जितना खुद ऐसी पोस्ट बनाना।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया की भूमिका अत्यंत प्रभावशाली हो गई है और यदि इसका दुरुपयोग देशविरोधी भावना फैलाने के लिए किया जाए, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने आगे कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यह अर्थ नहीं कि कोई व्यक्ति राष्ट्र विरोधी विचारों को खुलेआम प्रचारित करे।”

इस फैसले को देशभर में एक अहम संकेत के रूप में देखा जा रहा है कि न्यायालयें अब ऐसे मामलों में नरमी बरतने को तैयार नहीं हैं। अदालत का यह सख्त संदेश साफ दर्शाता है कि राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों को किसी भी तरह की राहत नहीं मिलेगी।

पुलिस अब इस मामले में आगे की जांच कर रही है और यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या आरोपी किसी संगठित नेटवर्क से जुड़ा था। वहीं, इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर देश विरोधी कंटेंट को लेकर निगरानी और सख्ती और बढ़ने की संभावना है।

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