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ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर पर गोस्वामी समाज में बंटे मत, विरोध और समर्थन दोनों नजर आए

ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर पर गोस्वामी समाज में बंटे मत, विरोध और समर्थन दोनों नजर आए

आगरा के विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के पास बनने वाले कॉरिडोर को लेकर अब एक ही परिवार में दो अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं। जबकि एक ओर गोस्वामी समाज इस परियोजना का विरोध कर रहा है, वहीं दूसरी ओर समाज के कुछ लोग इसका समर्थन भी कर रहे हैं। इस मुद्दे पर समाज में मतभेद उभरने से चर्चाएं तेज हो गई हैं।

यह कॉरिडोर ठाकुर बांके बिहारी मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र को विकसित करने के लिए तैयार किया जा रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा मिल सके और दर्शन के दौरान ट्रैफिक की समस्या का समाधान हो सके। लेकिन इस परियोजना को लेकर गोस्वामी समाज में मतैक्य नहीं बन पा रहा है।

विरोध करने वाले गोस्वामी समाज के सदस्य इस कॉरिडोर को एक धार्मिक स्थल के विकास से ज्यादा, मंदिर की पवित्रता को खतरे में डालने के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि कॉरिडोर के निर्माण से मंदिर के आसपास का पारंपरिक माहौल बदल जाएगा और इससे वहां की धार्मिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, कई लोगों का मानना है कि इस विकास के नाम पर मंदिर के आस-पास के क्षेत्र में मंहगी दुकानें और अन्य व्यापारिक गतिविधियां बढ़ सकती हैं, जो धार्मिक स्थल की शांति और श्रद्धालुओं की आस्था पर नकारात्मक असर डाल सकती हैं।

समर्थक गुट का कहना है कि यह परियोजना मंदिर और आसपास के क्षेत्र को समृद्ध बनाएगी और यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करेगी। उनका मानना है कि इस कॉरिडोर के निर्माण से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय व्यापार और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वे इसे मंदिर के विकास के रूप में देख रहे हैं, जहां श्रद्धालुओं को और बेहतर अनुभव मिलेगा।

इस विषय पर गोस्वामी समाज के अंदर की यह जुदाई अब एक बड़ा मुद्दा बन गई है। कुछ लोग इसे सिर्फ विकास और सुविधा से जोड़ रहे हैं, जबकि कुछ इसे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट के अधिकारी भी इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं और इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय लेने से पहले सभी पहलुओं का गहन अध्ययन कर रहे हैं।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस कॉरिडोर के निर्माण से ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के दर्शनार्थियों को और अधिक सुगम और आरामदायक अनुभव मिलने की संभावना है, लेकिन समाज में इस तरह के बंटे हुए मत यह दर्शाते हैं कि हर धार्मिक और सांस्कृतिक बदलाव को लेकर लोगों की भावनाओं और आस्थाओं का सम्मान करना कितना जरूरी है।

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