अब इन नदियों में मछली पकड़ना पूरी तरह प्रतिबंधित, उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई

सरकार ने मत्स्य संरक्षण और प्रजनन काल के मद्देनज़र प्रदेश की कई प्रमुख नदियों में मछली पकड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया है। इस आदेश के तहत अब गंगा और यमुना के साथ-साथ टोंस, बेलन, टुड़ियारी, नैना, गोरमा, लपरी, वरुणा और ससुर खदेरी नदियों में किसी भी प्रकार से मछली पकड़ना अवैध माना जाएगा।
यह प्रतिबंध विशेष रूप से प्रजनन काल में मछलियों की संख्या में वृद्धि और जैव विविधता को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लगाया गया है। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी तक की व्यवस्था की गई है।
मत्स्य विभाग ने दी चेतावनी
मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इस प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जाएगा। विभागीय टीमों को निर्देश दिए गए हैं कि वे संबंधित नदियों की निगरानी करें और किसी भी तरह की गैरकानूनी मत्स्याखन गतिविधि पर त्वरित कार्रवाई करें।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “नदियों में मछलियों के प्राकृतिक प्रजनन को सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। यह निर्णय वैज्ञानिक सलाह और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से बेहद आवश्यक है। नियम तोड़ने पर मत्स्य संरक्षण अधिनियम के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
क्यों लगाया गया है प्रतिबंध?
मछलियों का प्रजनन काल आमतौर पर मानसून के दौरान होता है। इस समय अधिकांश मछलियां अंडे देती हैं और नदी की सतह पर सक्रिय होती हैं। यदि इस दौरान मछली पकड़ने की अनुमति दी जाए तो न केवल अंडे देने की प्रक्रिया बाधित होती है, बल्कि अगली पीढ़ी की मछलियों की संख्या भी प्रभावित होती है। इससे जलजीवों की आबादी पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
कौन-कौन सी नदियां हैं प्रतिबंधित?
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गंगा
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यमुना
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टोंस
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बेलन
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टुड़ियारी
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नैना
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गोरमा
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लपरी
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वरुणा
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ससुर खदेरी
इन सभी नदियों में आगामी आदेश तक मछली पकड़ना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा।
मछुआरों को किया गया जागरूक
प्रशासन और मत्स्य विभाग द्वारा स्थानीय मछुआरा समुदाय को भी जागरूक किया गया है। उन्हें वैकल्पिक आजीविका के विकल्प सुझाए गए हैं और इस दौरान किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि से दूर रहने की अपील की गई है।