एडिशनल डीसीपी विशाल पांडेय ने बताया कि अनिल पूर्व में फैक्टरी में नौकरी करता था। वह मध्यम परिवार से था। उसकी मुलाकात वहां मीनू से हुई। इसी बीच मीनू का पहले पति से अलगाव हो गया। अनिल व मीनू की प्रेम कहानी शुरू हुई और दोनों ने शादी कर ली। मीनू ने ही बेटे के साथ मिलकर अनिल को ठग कंपनी सेटअप करने का आइडिया दिया। मीडिया रिपेार्ट के अनुसार ,महज एक साल के अंदर दिल्ली-एनसीआर के 17 हजार निवेशकों को जाल में फंसा लिया गया। एच्छर चौकी प्रभारी शैलेंद्र तोमर ने बताया कि केस में आरोपित मीनू का बेटा कृणाल ठगी के दौरान गो वे कंपनी के आफिस में बैठता था। वह भी निवेशकों को रकम निवेश करने का झांसा देता था। कृणाल के अलावा पुलिस इस मामले में प्रबंधक प्रदीप की तलाश भी कर रही है।
निल लोनी के सीती गांव का रहने वाला है। चार साल पहले तक वह गांव के मकान में रहता था। ठग कंपनी शुरू करने के बाद उसने दूसरी पत्नी की फरमाइश पर करीब ढाई करोड़ का विला गुरुग्राम में खरीदा था। वहीं इलेक्ट्रानिक स्कूटर बनाने की फैक्टरी भी सेटअप की।
साइट फोर स्थित जीएनएस प्लाजा में वर्ष 2018 में गो वे कंपनी शुरू की गई। निवेशकों का झांसा दिया गया कि कंपनी बाइक चलवाएगी और एक साल में निवेश रकम का दोगुना वापस करेगी। प्रत्येक बाइक में 62 हजार रुपये निवेश कराए गए। निवेशकों ने कई बाइकों के नाम पर कंपनी में निवेश कर दिया। कंपनी मालिक अनिल व मीनू सेन 2019 में फरार हो गए। आरोपितों के खिलाफ बीटा दो कोतवाली में 16 मुकदमे दर्ज किए गए। दो साल बाद रविवार को पुलिस ने आरोपित दंपती अनिल व मीनू को गिरफ्तार किया। दोनों वर्तमान में जेल में बंद है।