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noida सीबीआरआइ की जांच से खुलेगी निर्माण में अनियमितता की पोल

बता दें कि उत्तर भारत में बच्चों के इलाज के लिए नोएडा के सेक्टर-30 में चाइल्ड पीजीआइ के निर्माण की शुरुआत 2008 में की गई थी। वर्ष 2014-15 में निर्माण पूरा किया गया। नोएडा प्राधिकरण जांच एजेंसी रही और इसके अनुमति के बाद ही निर्माण को हरी झंडी मिली। अस्पताल का संचालन शुरू किया गया। 300 बेड के अस्पताल के निर्माण में 650 करोड़ रुपये खर्च किए गए। साजो सामान व सुविधाओं को मिलाकर कुल खर्च करीब 1200 करोड़ रुपये किया गया है। इतना खर्च होने के बाद भी 2015 से ही इसके बेसमेंट में पानी भरने की शिकायत मिलने लगी, लेकिन नोएडा प्राधिकरण ने निर्माण कंपनी उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम को वर्ष 2015 से अब तक 18 बार पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया है, लेकिन इस मामले में निर्माण कंपनी की ओर से समस्या दूर करने की बात तो छोड़िए, पत्र का जवाब तक नहीं दिया।  सचिव (शिक्षा चिकित्सा) और नोएडा प्राधिकरण तकनीकी विग की प्राथमिक जांच में बेसमेंट के निर्माण में तकनीकी खामी की बात सामने आई है। ऐसे में दो दिन पहले सीबीआरआइ जैसी कंपनी से इसका तकनीकी आडिट कराने के लिए कहा है।  ------------  बेसमेंट में पानी के रिसाव से नींव हो रही कमजोर  सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआइ के निर्माण में बड़ी अनियमितता की आशंका प्रबल हो गई है। महज आठ साल में ही इमारत में कंस्ट्रक्शन समस्या आने लगी है। बेसमेंट के ज्वाइंट में लीकेज हो गया है। लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। प्राधिकरण अधिकारियों की एक टीम ने हाल ही में अस्पताल के बेसमेंट की जांच की। यहां तकनीकी टीम को ज्वाइंट में लीकेज मिला, जिससे बेसमेंट में लगातार पानी आ रहा है। इससे बेसमेंट में सीलन भी आ चुकी है। जाहिर है कि इसका असर अस्पताल की नींव पर भी पड़ सकता है। जल्द दुरुस्त नहीं किया गया तो गिरने का खतरा पैदा हो सकता है।  -------------  संदेह के घेरे में प्राधिकरण  प्राधिकरण की ओर से प्रत्येक वर्ष पानी की निकासी पर लाखों रुपये खर्च किया जा रहा है, जिससे बेसमेंट में पानी न भरे। इसमें सुधार के लिए प्राधिकरण ने निर्माण कंपनी को करीब 18 बार पत्र लिखे, लेकिन निर्माण कंपनी के जवाब नहीं देने के बाद भी आज तक कार्रवाई नहीं की। जो प्राधिकरण की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में खड़ा कर रही है।


उत्तर प्रदेश न्यूज़ डेस्क!!!एडा प्राधिकरण में जिस तरह से जनता के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है। मीडिया रिपेार्ट के अनुसार , सुविधाओं को देने के नाम पर घटिया निर्माण कर पैसों का बंदरबांट चल रहा है, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। हैरानी की बात यह है कि साठगांठ व बंदरबांट के खेल पर सरकार अंकुश लगा पाने में अब तक नाकाम दिख रही है।

ताजा मामला सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआइ के निर्माण में बरती गई अनियमितता को देख कर लगाया जा सकता है। इसके निर्माण के साथ ही बेसमेंट में पानी भरने की शिकायत भी आने लगी, लेकिन इसको दुरुस्त नहीं कराया जा सका है। ऐसे में अब इस अस्पताल के निर्माण में घोटाले की बू आने लगी है। हालांकि दो दिन पहले अस्पताल में मेडिकल सचिव स्तर पर आयोजित बैठक में केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआइ) से तकनीकी लेखा जांच कराने का निर्णय लिया गया है।मीडिया रिपेार्ट के अनुसार ,  इसके बादही यह स्पष्ट हो सकेगा कि इस निर्माण में किस तरह से घोटाले को अंजाम दिया गया है। इसके आदेश जल्द शासन स्तर पर होने जा रहे हैं। जांच रिपोर्ट आते ही दोषी अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है।बता दें कि उत्तर भारत में बच्चों के इलाज के लिए नोएडा के सेक्टर-30 में चाइल्ड पीजीआइ के निर्माण की शुरुआत 2008 में की गई थी। वर्ष 2014-15 में निर्माण पूरा किया गया। खबरों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि, नोएडा प्राधिकरण जांच एजेंसी रही और इसके अनुमति के बाद ही निर्माण को हरी झंडी मिली। अस्पताल का संचालन शुरू किया गया। 300 बेड के अस्पताल के निर्माण में 650 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

साजो सामान व सुविधाओं को मिलाकर कुल खर्च करीब 1200 करोड़ रुपये किया गया है। इतना खर्च होने के बाद भी 2015 से ही इसके बेसमेंट में पानी भरने की शिकायत मिलने लगी, लेकिन नोएडा प्राधिकरण ने निर्माण कंपनी उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम को वर्ष 2015 से अब तक 18 बार पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया है, लेकिन इस मामले में निर्माण कंपनी की ओर से समस्या दूर करने की बात तो छोड़िए, पत्र का जवाब तक नहीं दिया।सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआइ के निर्माण में बड़ी अनियमितता की आशंका प्रबल हो गई है। महज आठ साल में ही इमारत में कंस्ट्रक्शन समस्या आने लगी है। बेसमेंट के ज्वाइंट में लीकेज हो गया है। लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। प्राधिकरण अधिकारियों की एक टीम ने हाल ही में अस्पताल के बेसमेंट की जांच की। यहां तकनीकी टीम को ज्वाइंट में लीकेज मिला, जिससे बेसमेंट में लगातार पानी आ रहा है। इससे बेसमेंट में सीलन भी आ चुकी है। जाहिर है कि इसका असर अस्पताल की नींव पर भी पड़ सकता है।मीडिया रिपेार्ट के अनुसार ,  जल्द दुरुस्त नहीं किया गया तो गिरने का खतरा पैदा हो सकता है।प्राधिकरण की ओर से प्रत्येक वर्ष पानी की निकासी पर लाखों रुपये खर्च किया जा रहा है, जिससे बेसमेंट में पानी न भरे। खबरों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि, इसमें सुधार के लिए प्राधिकरण ने निर्माण कंपनी को करीब 18 बार पत्र लिखे, लेकिन निर्माण कंपनी के जवाब नहीं देने के बाद भी आज तक कार्रवाई नहीं की। जो प्राधिकरण की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में खड़ा कर रही है।

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