उत्तर प्रदेश में मेडिकल टेक्नोलॉजी की नई पहल: संजय गांधी पीजीआई में बनेगी पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब

चिकित्सा क्षेत्र में तकनीकी क्रांति की दिशा में उत्तर प्रदेश ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGI) में प्रदेश की पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) लैब की स्थापना की जाएगी। यह राज्य के किसी भी चिकित्सा संस्थान में बनने वाली पहली एआई लैब होगी, जो चिकित्सा अनुसंधान और इलाज के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगी।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर संस्थान की अकादमिक काउंसिल ने प्रस्ताव पारित कर दिया है, जिससे इसे हरी झंडी मिल चुकी है। लैब की स्थापना जल्द ही शुरू की जाएगी और यह सभी विभागों के लिए कोर लैब (साझा प्रयोगशाला) के रूप में कार्य करेगी, यानी संस्थान का हर विभाग इसके संसाधनों और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकेगा।
चिकित्सा में एआई का बढ़ता महत्व
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से बढ़ रहा है। इससे न केवल रोगों का पूर्वानुमान और समय पर निदान संभव होता है, बल्कि चिकित्सा अनुसंधान, मरीजों के डाटा विश्लेषण, इमेज प्रोसेसिंग, और मशीन लर्निंग के माध्यम से नवाचारपूर्ण इलाज की दिशा भी खुलती है। अब SGPGI जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थान में इसकी लैब की स्थापना, प्रदेश में हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल मानी जा रही है।
सभी विभाग उठा सकेंगे लाभ
संस्थान के अनुसार, यह एआई लैब सभी विभागों के लिए एक साझा संसाधन होगी। कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, रेडियोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, पैथोलॉजी जैसे विभाग अपने अनुसंधान व क्लिनिकल कार्यों में एआई का उपयोग कर पाएंगे। मसलन, रेडियोलॉजी में यह तकनीक एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई जैसे इमेजिंग डाटा के विश्लेषण में मददगार होगी। वहीं, ऑन्कोलॉजी विभाग कैंसर सेल्स की पहचान और स्टेजिंग में इसका इस्तेमाल कर पाएगा।
चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को भी मिलेगा बढ़ावा
यह लैब न केवल इलाज और डायग्नोसिस में मददगार होगी, बल्कि मेडिकल स्टूडेंट्स और रिसर्च स्कॉलर्स के लिए भी एक बेहतरीन मंच होगी। वे एआई के माध्यम से क्लीनिकल डाटा, बायोइन्फॉर्मेटिक्स और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को समझ सकेंगे, जिससे अनुसंधान कार्यों में नई ऊर्जा और सटीकता आएगी।
भविष्य की योजनाएं
SGPGI प्रशासन का कहना है कि यह लैब भविष्य में नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर रिसर्च कोलैबोरेशन की संभावनाओं को भी जन्म देगी। साथ ही, अन्य चिकित्सा संस्थानों के लिए यह मॉडल की तरह कार्य कर सकती है, जिससे प्रदेश भर के अस्पतालों में टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग की राह प्रशस्त होगी।
इस पहल से यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था अब पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़ते हुए डिजिटल हेल्थकेयर और स्मार्ट तकनीकों की दिशा में कदम बढ़ा रही है। संजय गांधी पीजीआई में एआई लैब की स्थापना न सिर्फ संस्थान के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।