राज्य के प्रमुख हाईवे पर ट्रैफिक पुलिस, रोडवेज और आरटीओ अधिकारियों-कर्मचारियों की अनदेखी से लगातार हादसों का खतरा बढ़ता जा रहा है। अमर उजाला की बुधवार को की गई पड़ताल में यह बात सामने आई कि रोडवेज और अनधिकृत बसों के चालक हाईवे पर अवैध बस अड्डे बना चुके हैं, जिससे यात्रियों और अन्य वाहन चालकों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।
स्थानीय लोगों और यात्रियों ने बताया कि कई हाईवे स्थानों पर बसें बिना किसी नियमानुसार इंतजार किए या स्टॉपेज बनाए बिना यात्रियों को चढ़ाती और उतारती हैं। इन अवैध बस अड्डों के कारण ट्रैफिक जाम और हादसों की संभावना बढ़ जाती है। कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, फिर भी संबंधित अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
पड़ताल के दौरान देखा गया कि कई जगह बसें हाईवे के किनारे ही यात्रियों को चढ़ा और उतार रही थीं। इससे अन्य वाहनों को अचानक ब्रेक लगाना पड़ता है, जो छोटी-मोटी और गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बनता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन न होना और अधिकारियों की लापरवाही दोनों मिलकर हाईवे पर खतरनाक स्थिति पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस को हाईवे पर नियमित रूप से गश्त करनी चाहिए और अनधिकृत बस अड्डों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
स्थानीय यात्रियों और परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण सुरक्षा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कई बार बस चालकों को चेतावनी देने या जुर्माना लगाने के बाद भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा। इससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है, बल्कि सड़क पर जाम और ट्रैफिक बाधाएं भी बढ़ती हैं।
पड़ताल में यह भी सामने आया कि हादसों के बाद भी संबंधित विभागों ने कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला। केवल अस्थायी बंदोबस्त या चेतावनी जारी करना ही देखा गया है, जिससे समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि हाईवे पर अवैध बस अड्डों को पूरी तरह हटाया जाए, वाहन चालकों और यात्रियों को नियमों के प्रति जागरूक किया जाए और अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन और पुलिस से मांग की है कि नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए और हाईवे पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं। उनका कहना है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ती जाएगी।
इस प्रकार की अनदेखी न केवल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि प्रशासन और परिवहन विभाग की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ हादसों के बाद चेतावनी देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि लंबी अवधि में ठोस कदम उठाकर ही हाईवे सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

